नई दिल्ली। केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कोरोना वायरस महमारी के मद्देनजर ऋण वापसी पर घोषित स्थगन अवधि दो साल तक बढ़ाई जा सकती है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष केंद्र और आरबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार ने कहा कि महामारी की वजह से मुश्किल का सामना कर रहे क्षेत्रों और 23 प्रतिशत की आर्थिक सिकुड़न से उबरने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।

पीठ ने कहा कि वह दो सितंबर को उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी जिनमें कोविड-19 के चलते लागू लॉकडाउन में रिजर्व बैंक द्वारा ऋण की किश्तों में देरी के लिए घोषित स्थगन अवधि के लिए ब्याज लेने का मुद्दा उठाया गया है। इससे पहले शीर्ष अदालत ने केंद्र और आरबीआई से स्थगन अवधि के कारण किश्त देने में हुई देरी की अवधि के लिए ब्याज वसूलने के फैसले की समीक्षा करने के लिये कहा था।

दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक ने कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के बाद मार्च में एक नोटिफिकेशन जारी की थी, जिसमें कर्ज लेने वालों को इसकी किस्तों का भुगतान स्थगित करने की सुविधा प्रदान की गई थी। यह योजना अब 31 अगस्त को खत्म हो गई। इसके बाद इस अवधि को बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी।

याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विशाल तिवारी ने पीठ से कहा कि कोविड महामारी का आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर अभी भी है ओर इसलिए किस्तों का भुगतान स्थगित रखने की योजना की अवधि इस साल के अंत तक बढ़ाने की आवश्यकता है।

न्यायालय ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार अपना रूख स्पष्ट नहीं कर रही है और वह रिजर्व बैंक की आड़ ले रही है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी कहा था कि वह एक सप्ताह के भीतर किस्तों के ऊपर वसूल किए जा रहे ब्याज के बारे में अपना रूख साफ करे।