मध्य प्रदेश में किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। टीकमगढ़ में खरीदी केंद्र पर गेंहू की तुलाई नहीं होने से नाराज किसान का गुस्सा फूट पड़ा। जिसके बाद किसान ने कलेक्टर कार्यालय के गेट पर ही अपनी गेंहू की फसल की ट्राली पलट दी। एक तरफ तो प्रदेश के मुखिया गेंहूं की बंपर खरीदी का दावा कर पंजाब को पीछे छोड़ने का दावा करते हैं, कहते हैं कि किसानों की मेहनत का एक-एक दाना खरीदेंगे लेकिन किसानों के आक्रोश से उनकी पीड़ा जाहिर हो रही है।

यह मामला टीकमगढ़ की जतारा तहसील का है जहां के ग्राम मचोरा से आए किसान के गेहूं पंजीयन नहीं हुआ और उसका गेंहू नहीं बिक पा रहा था। इससे किसान को काफी नुकसान हुआ। गुस्साए किसान ने अपना गेहूं ट्रॉली में लादा और कलेक्ट्रेट के मेन गेट पर फैला दिया। इसके बाद कलेक्ट्रेट के अधिकारियों ने किसान को आश्वासन दिया और मामले की जांच की बात कही। उन्होंने कहा कि अगर इसमें प्रबंधक दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

किसान की जगह प्रबंधक ने अपनी पत्नी के नाम किया रजिस्ट्रेशन

मचोरा निवासी किसान राहुल राजपूत का आरोप है कि उसकी जमीन का रजिस्ट्रेशन समिति प्रबंधक ने अपनी पत्नी शहनाज बेगम के नाम करा दिया और गेहूं की व्यवस्था करके पत्नी के नाम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेच दिया। ऑनलाइन सेंटर जाने पर किसान को इस बात का पता चला जिसके बाद किसान ने कलेक्टर को एक आवेदन भी दिया। जिसमें उसने प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति मर्यादित जतारा के प्रबंधक के समीप गेहूं पंजीयन के लिए अपने समस्त दस्तावेज प्रस्तुत पेश करने की बात लिखी है। साथ ही भू-अधिकार पुस्तिका की प्रति भी दी थी, लेकिन समिति के प्रबंधक ने उसके नाम का रजिस्ट्रेशन नहीं किया। किसान राहुल राजपूत ने इस मामले की शिकायत एसडीएम डॉ.सौरभ सोनवणे के समक्ष की थी। एसडीएम ने तहसीलदार को जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन तहसीलदार ने मामले की जांच एक महीने बाद भी नहीं कराई। किसान का कहना है कि जब उसे न्याय नहीं मिला तो उसने मजबूरी में अपना गेहूं कलेक्ट्रेट के गेट पर ला कर रख दिया।

खोखले हो रहे सरकार के दावे

इस बार समर्थन मूल्य पर चल रही खरीदी ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। मगर इसकी उलट तस्‍वीर यह है कि बारिश आने वाली है बावजूद इसके अब तक अनाज की खरीदी नहीं हुई है। गेंहूं की खरीदी नहीं होने पर किसान आक्रोशित हैं।