रायपुर। धान का कटोरा कहे जाने वाले छ्त्तीसगढ़ में 1 दिसंबर से धान खरीदी का महा-त्यौहार शुरु हो गया है। प्रदेश सरकार किसानों से  समर्थन मूल्य पर धान खरीदी करने की शुरुआत कर चुकी है। इस बीच एक बार प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बारदानों की कमी को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है, उनका आरोप है कि प्रदेश में 5 लाख गठान बारदाने की जरूरत है, लेकिन केंद्र इसे उपलब्ध करवा पाने में असमर्थ है।



पिछले साल भी केंद्र ने पर्याप्त बारदाना उपलब्ध नहीं करवाया था। तब तो कोरोना की वजह से देश में लॉकडाउन था, जूट फैक्टरियों में काम बंद था, तब भारत सरकार ने बारदाना उपलब्ध नहीं कराया था, लेकिन अब तो स्थितियां पिछले साल की अपेक्षा काफी सुधरी हैं। फिर भी केंद्र सरकार की ओर से बारदाना उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है। केंद्र पर धान खरीदी में रुकावट डालने का आरोप लगाया है।  यही वजह के कि किसानों से अपने साथ बारदाना लाने की अपील की गई है।





 



 वहीं मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की प्रक्रिया आसान होने पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने कहा कि पहले रात-रात भर जागकर किसान धान की रखवाली और तौलाई करते थे, जिससे किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब यह नहीं होता है। 



दरअसल इस साल रिकॉर्ड तोड़ 22.66 लाख रजिस्टर्ड किसानों से खरीदी करने का लक्ष्य है। इस साल करीब105 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी का अनुमान है। धान खरीदी के पहले दिन तौल कांटों की विधिवत पूजा अर्चना की गई। धान खरीदी प्रदेश की 2399 सहकारी समितियों के माध्यम से की जा रही है। किसानों की सुविधा का ख्याल रखते हुए 88 नए धान उपार्जन केंद्रों को अनुमति दे दी गई है। धान खरीदी केंद्रो पर धान बेचने आए किसानों का फूल-माला से स्वागत किया गया। 



 नोडल अधिकारियों को मानीटरिंग की जिम्मेदारी दी गई है। जिम्मेदार अधिकारी रोजाना धान खरीदी और अन्य व्यवस्थाओं और केंद्रों पर होने वाली समस्याओं की स्थितियों की निगरानी  करेंगे। पड़ोसी राज्यों की सीमाओं पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इस  बात का ख्याल रखा जा रहा है कि प्रदेश में दूसरे राज्यों की धान समर्थन मूल्य पर ना बेची जाए।प्रदेश में 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी हो रही है।