नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार के कृषि सुधार से जुड़े तीन विवादास्पद विधेयकों का देशभर में विरोध बढ़ता जा रहा है। विपक्षी दलों के अलावा देशभर के कई राज्यों के किसान इस बिल के विरोध में सड़कों पर हैं। यहां तक कि बीजेपी के सहयोगी दल भी इस बिल का जमकर विरोध कर रहे हैं। बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने इस बिल के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। इसी बीच अब आरएसएस से जुड़ा संगठन भारतीय किसान संघ भी इस बिल के विरोध में आ गया है।

बीजेपी के पॉवर सेंटर के रूप में माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन द्वारा इस बिल का विरोध किए जाने के बाद केंद्र की मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। आरएसएस का किसान संगठन - भारतीय किसान संघ (बीकेएस) अब मोदी सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया है। बीकेएस के महासचिव बद्री नारायण चौधरी ने कहा है कि यह विधेयक देश के बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने वाला है और इससे किसानों का जीवन और मुश्किल हो जाएगा।

इंडिया टुडे ने बद्री नारायण के हवाले से बताया है कि भारतीय किसान संघ किसी भी सुधार के विरोध में नहीं है लेकिन इस बिल में किसानों को लेकर कई बातें ऐसी हैं जो चिंतित करने वाली हैं। उन्होंने कहा, 'पिछले 2 बजट से केंद्र की मोदी सरकार 22 हजार नई मंडियों के होने की बात करती है लेकिन वो कहां हैं? यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कृषि और खाद्य मंत्रालय को नौकरशाह चला रहे हैं, जिन्हें जमीनी हकीकत के बारे में कुछ अंदाजा भी नहीं है।'

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क्या सरकार बनेगी गारंटर ?

बद्री नारायण ने आगे पूछा है कि क्या सरकार किसानों की गारंटर बनेगी? उन्होंने कहा कि, 'जिसके पास भी पैन कार्ड है, वही व्यापारी बनकर सीधा किसानों से डील कर सकता है। केंद्र सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिससे यह तय हो सके कि जब किसानों के उत्पाद को खरीदा जाएगा, उसी वक़्त उसे पेमेंट हो जाएगा या फिर सरकार उसके पेमेंट की गारंटर बनेगी।' कृषि सुधार विधेयक को लेकर चौतरफा विरोध झेल रही केंद्र की बीजेपी सरकार से जुड़े संगठनों के द्वारा ही अब इस विवादित बिल के विरोध में सामने आने के बाद सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है।