बेलारूस में जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच देश की सरकार ने जहां एक तरफ बहुत सारे पत्रकारों को वापस भेज दिया है, वहीं देश के बहुत से रिपोर्टरों की मान्यता रद्द कर दी है। बेलारूस में राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको के इस्तीफे की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी हैं। ये प्रदर्शन तब शुरू हुए, जब हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में पिछले 26 साल से सत्ता में काबिज एलेक्जेंडर लुकाशेंको की जीत हुई। विपक्षी उम्मीदवार स्वेतलाना शिखानौस्काया ने इन चुनावों में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए चुनाव परिणामों को मानने से इनकार कर दिया। देश के चुनाव आयोग के मुताबिक जहां लुकाशेंको के 80 प्रतिशत मिले, वहीं शिखानौस्काया को मात्र 10 फीसदी। 

दूसरी तरफ विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों और विपक्षी नेताओं को राष्ट्रपति लुकाशेंको ने चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा है कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी और साजिशकर्ताओं पर कार्रवाई होगी। लुकाशेंको ने यह दावा भी किया कि बेलारूस के लाखों लोगों ने उनके समर्थन में रैलियां निकाली हैं। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़प में अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है। 

बताया जा रहा है कि 30 अगस्त को प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ एक बड़े प्रदर्शन की योजना बना रहे थे। लेकिन ठीक इसके पहले सरकार ने कई पत्रकारों की मान्यता रद्द कर दी। संगठन बेलारूस एसोसिएसन ऑफ जर्नलिस्ट के मुताबिक सरकार ने 17 पत्रकारों की मान्यता रद्द कर दी। इनमें प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान रॉयटर्स, एसोसिएट प्रेस और बीबीसी के पत्रकार भी शामिल हैं। संगठन ने सरकार के इस कदम की तीखी आलोचना की है। 

एसोसिएट प्रेस ने बताया कि उसके दो पत्रकारों को मॉस्को भेज दिया गया। एजेंसी ने बेलारूस सरकार से अपने पत्रकारों की मान्यता वापस से बहाल की जाए। इसी तरह जर्मनी के एआरडी न्यूज चैनल ने बताया कि उसके भी दो पत्रकारों को वापस भेज दिया गया है। 

दूसरी तरफ बेलारूस सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह कदम देश के आतंकवाद विरोधी विरोधी विभाग की सलाह पर उठाए गए हैं। हालांकि, लुकाशेंको ने पहले ही विदेशी पत्रकारों को देश से बाहर निकाल देने की धमकी दी थी। बताया जा रहा है कि अगर बेलारूस के पत्रकार बिना मान्यता के अपना काम करेंगे तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। 

विपक्षी नेता स्वेतलाना शिखानौस्काया ने मीडिया को निशाना बनाए जाने के सरकार के कदम की आलोचना की है। वहीं यूरोपी संघ ने कहा है कि अगर बेलारूस सरकार अपने ही नागरिकों पर किए जा रहे जुल्म को समाप्त नहीं करती है तो संघ बेलारूस के 20 अधिकारियों को ब्लैकलिस्ट करेगा।