काठमांडू। नेपाल में हिंसक प्रदर्शन के बाद सरकार बैकफुट पर है। युवाओं के भारी विरोध के बाद सोमवार देर रात सोशल मीडिया से बैन हटा लिया गया है। कैबिनेट बैठक के बाद संचार मंत्री पृथ्वी गुरुंग ने कहा कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों की बात मान ली है, हमने सोशल मीडिया ओपन कर दिया है, युवा अब विरोध बंद कर दें।

इससे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से रोक हटाने से इनकार कर दिया था। इस प्रदर्शन की अगुआई Gen-Z यानी 18 से 28 साल के युवाओं ने की थी। कल इस विरोध-प्रदर्शन में 19 लोग मारे गए थे, जबकि 400 से ज्यादा घायल हुए थे।

UN मानवाधिकार ऑफिस ने भी इस हिंसा पर दुख जाहिर किया है और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। दरअसल, तीन दिन पहले नेपाल सरकार ने फेसबुक, व्हाट्सऐप और एक्स समेत 26 सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था, क्योंकि वे पंजीकरण नहीं करा पाई थीं। इसके बाद नेपाल में बवाल शुरू हो गया।

सरकार और प्रदर्शनकारी आमने-सामने हो गए। ऐसा लगा जैसे नेपाल में तख्तापलट हो जाएगा। Gen Z प्रदर्शनकारी संसद में घुस गए। गेट नंबर 1 और 2 पर कब्जा कर लिया। भीड़ को नियंत्रित करने सरकार ने गोली चलाने के आदेश दिए। फायरिंग में 19 लोगों की मौत हुई जबकि 400 घायल हैं। इसके बाद भी प्रदर्शन जारी रहा। माहौल बिगड़ता देख सरकार ने यह बैन हटा दिया। साथ ही मंत्री ने विरोध कर रहे जेन जी समूह से विरोध प्रदर्शन खत्म करने का अनुरोध किया।

बिगड़ती कानून-व्यवस्था को देखते हुए काठमांडू के कई इलाकों, विशेष रूप से बानेश्वर स्थित संसद भवन के आसपास कर्फ्यू लगा दिया गया है। कर्फ्यू अवधि में कोई भी व्यक्ति निर्धारित इलाकों में आवागमन, सभा, जुलूस, प्रदर्शन, घेराव और किसी भी प्रकार का सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित नहीं कर सकेगा। नेपाल के निजी स्कूलों से जुड़े संगठनों ने जेन-जेड प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और छात्रों की मौत पर गहरा दुख जताते हुए 8 और 9 सितंबर को दो दिन का शोक अवकाश घोषित किया है।