इस्लामाबाद। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक और मशहूर वैज्ञानिक डॉ अब्दुल कादिर खान का निधन हो गया है। पाकिस्तान के रक्षक कहे जाने वाले कादिर खान काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। खास बात ये है कि उनका जन्म अविभाजित भारत के मध्य प्रदेश की वर्तमान राजधानी भोपाल में जन्म हुआ था। हालांकि, बंटवारे के बाद वे पूरे परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक 85 वर्षीय डॉ खान को 26 अगस्त को कोरोना संक्रमित होने के बाद रिसर्च लेबोरेटरिज हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। यहां हालात बिगड़ने के बाद उन्हें रावलपिंडी स्थित सेना के अस्पताल में भर्ती किया गया था। यहां से ठीक होकर वे घर चले गए थे। शनिवार को सांस लेने में तकलीफ होने के कारण उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि, इस बार उन्हें बचाया नहीं जा सका। 

दो बार मिला सर्वोच्च नागरिक सम्मान

डॉ खान को पाकिस्तान में लोग एक्यू खान के नाम से पुकारते थे। एक दौर था जब वह पाकिस्तान के सबसे ताकतवर व्यक्ति बन गए थे। स्कूलों की दीवारों से लेकर सड़कों-गलियों में उनकी तस्वीरें और पोस्टर दिखती थी। पाकिस्तान सरकार ने परमाणु बम बनाने के लिए उन्हें साल 1996 और 1999 में दो बार पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से नवाजा था।

हीरो की तरह देखते थे पाकिस्तानी लोग

पाकिस्तान के लोग उन्हें अपने आदर्श और हीरो की तरह देखते थे। उन्हें पाकिस्तान के रक्षक के टाइटल से भी नवाजा गया। हालांकि, इमरान खान सरकार पर उनके अपमान का आरोप लगा और आज मौत के बाद पाकिस्तानी मीडिया और वहां के लोग इमरान खान को खूब भला-बुरा सुना रहे हैं। दरअसल, बीते दिनों जब वे बीमार थे तब इमरान खान उन्हें देखने तक नहीं गए थे, इस बात को लेकर उन्होंने नाराजगी जताई थी। 

कादिर खान ने डॉन को दिए अपने एक हालिया इंटरव्यू में कहा था कि, 'जब मैं अस्पताल में था तो पूरा देश मेरी सलामती की दुआएं कर रहा था। लेकिन मैं इस बात से बेहद दुखी हूं कि न तो पीएम इमरान खान और न ही केंद्रीय कैबिनेट के मंत्रियों ने मेरे स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में कभी हालचाल लिया।' इतना ही नहीं एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा था कि कुछ एहसानफरामोश लोग उनकी मौत का अफवाह उड़ा रहे हैं, बावजूद सरकार को इससे कोई लेना-देना नहीं है कि मैं जीवित हूं भी या नहीं।'

परमाणु तस्करी के लिए कुख्यात

पाकिस्तान में हीरो की नजर से देखे जाने वाले खान दुनियाभर में अपनी करतूतों को लेकर कुख्यात भी थे। दरअसल, उनपर परमाणु तस्करी के आरोप लगते रहे। कहा जाता है कि उत्तर कोरिया जैसे सनकी देश को उन्होंने ही परमाणु तकनीक दिया था। इसके अलावा उन्होंने ईरान और लीबिया को भी एटम बम बनाने में मदद की थी। कादिर ने उन्हें यूरेनियम कल्चर के लिए सप्लाई डिजाइन, हार्डवेयर और अन्य आवश्यक वस्तु उपलब्ध कराने में मदद की थी। उन्हें न्यूक्लियर ब्लैक मार्केटिंग का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। 

बहरहाल डॉ खान के निधन पर पूरे पाकिस्तान में शोक की लहर दौड़ गई है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने इसे देश के लिए बहुत बड़ी क्षति करार देते हुए दुख जताया है। रक्षा मंत्री परवेज खट्टक ने कहा, 'पाकिस्तान हमेशा राष्ट्र के लिए उनकी सेवाओं का सम्मान करेगा। देश की रक्षा क्षमता को बढ़ाने में उनके योगदान के लिए पूरा पाकिस्तान उनका ऋणी है।' पाकिस्तानी योजना एवं विकास मंत्री असद उमर ने उनके निधन पर दुख जताते हुए कहा कि पाकिस्तान को 'अजेय' बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है।