मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में पूर्व पत्रकार व वकील दीपक बुंदेले के साथ पुलिसिया बर्बरता के मामले में जिला पुलिस ने अधिकारियों पर कारवाई करने की बजाय पीड़ित के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी फुटेज की वीडियो डिलीट होने की बात कही है और कोर्ट में सुनवाई के पहले राष्ट्रीय हिन्दू सेना के तीन कार्यकर्ताओं को गवाह बनाकर बुंदेले पर हाथापाई और अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया है। हालांकि इस मामले में आज हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने सात दिनों में सीसीटीवी फुटेज और सभी पक्षों के बयान पेश करने के निर्देश दिए हैंं।

जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद बुंदेले के वकील ने बताया कि जस्टिस नंदिता दुबे की बेंच ने 23 मार्च की घटना के सीसीटीवी फुटेज पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी। तब तक सभी पक्षों के बयान भी पेश करने होंगे। गौरतलब है कि हाईकोर्ट में इस सुनवाई के पहले 18 जून को पुलिस ने पीड़ित वकील दीपक बुंदेले  खिलाफ आईपीसी की धारा 188, 294 और 353 के तहत एफआईआर दर्ज किया है। दीपक बुंदेले ने कहा है कि, 'जिला पुलिस मुझे डराने और अपराधियों को संरक्षण देने के नियत से यह एफआईआर दर्ज की है।'

हिन्दू सेना के नेताओं को बनाया गवाह

पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर राष्ट्रीय हिन्दू सेना के तीन कार्यकर्ताओं को गवाह बनाया है जिनमें प्रदेश अध्यक्ष दीपक मालवीय, जिला संयोजक पवन मालवीय व प्रखंड अध्यक्ष दीपक कोसे शामिल हैं। एफआईआर में कहा गया है कि, 'बुंदेले पुलिस के साथ गाली-गलौज कर रहे थे जिसके बाद बैतूल एएसआई मौके पर पहुंचे। एएसआई के उसे काफी समझाया-बुझाया लेकिन इस दौरान वह खुद जमीन पर लेटकर पैर-हाथ पटकने लगा और खुद को मारने लगा। उसने पुलिस को हाइकोर्ट का डर दिखाकर धमकी भी दी।' उल्लेखनीय है कि इस घटने में बुंदेले को काफी चोट आई थी। उनके कान से बहुत दिनों तक खून भी बहता रहा था।

घटनास्थल की फुटेज हुई डिलीट

बता दें कि पीड़ित बुंदेले ने 27 मार्च को RTI लगाकर घटनास्थल (लल्ली चौक, बैतूल) पर लगे सीसीटीवी कैमरे का फुटेज मांगी थी। पुलिस ने अपने रिपोर्ट में बताया है कि रेडियो इंस्पेक्टर से हमने वीडियो मांगी थी लेकिन वह वीडियो डिलीट हो चुकी है। इसका कारण बताया गया है कि CCTV के सर्वर में केवल 30 दिनों तक कि ही फुटेज उपलब्ध रहती है और उसके बाद स्वतः डिलीट हो जाती है। 

कानून बचाने की है लड़ाई

दीपक बुंदेले ने इसे कानून और संविधान को बचाने की लड़ाई बताई है। उन्होंने हम समवेत को बताया कि मध्यप्रदेश पुलिस मुझे डराने और अपराधियों को बचाने की नीयत से यह एफआईआर दर्ज की है वह भी मेरे न्यायालय में जाने के बाद। मंगलवार को सुनवाई है इस वजह से मेरी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है लेकिन भविष्य में मुझे कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। मुझे  उच्च न्यायालय पर पूर्ण भरोसा है कि वह फैसला मेरे पक्ष में सुनाएगा और दोषियों पर करवाई करेगा। मध्यप्रदेश पुलिस कितना भी प्रयास कर ले अपराधियों को बचा नहीं सकती है। मुझे भविष्य में सुप्रीम कोर्ट भी जाना पड़े तो जाऊंगा।' 

क्या है पूरा मामला ? 

23 मार्च को डाइबिटीज से पीड़ित दीपक बुंदेला के साथ उस वक़्त मारपीट हुई थी जब वे इलाज के लिए सरकारी अस्पताल जा रहे थे। बैतूल पुलिस द्वारा एफआइआर दर्ज नहीं किए जाने के बाद दीपक ने मध्‍यप्रदेश मानव अधिकार आयोग, मध्यप्रदेश कोर्ट के चीफ जस्टिस, बार काउंसिल के अध्यक्ष, डीजीपी, मुख्यमंत्री, बैतूल एसपी समेत अन्य जगहों पर पत्र लिखकर मामले पर कार्रवाई करने की मांग की थी। इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब बैतूल ASI बीएस पटेल का ऑडियो रिकॉर्डिंग वायरल हुई। तकरीबन चौदह मिनट के ऑडियो में पटेल ने कहा था कि, 'आपकी दाढ़ी को देखकर पुलिस वालों को लगा कि आप मुसलमान हैं इसलिए उन्होंने आपको मारा। आप चाहें तो वे आपके पास आकर आपसे माफी मांगने को तैयार हैं बशर्ते आप अपना केस वापस ले लीजिए। ऑडियो के वायरल होने के बाद पटेल को तत्काल सस्पेंड कर दिया गया था।'