इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महाराजा यशवंत हॉस्पिटल में चूहों द्वारा काटे गए दूसरे नवजात का भी बुधवार को निधन हो गया। इससे पहले भी मंगलवार को एक बच्चे की मौत हो गई थी। उस दौरान हॉस्पिटल प्रशासन का कहना था कि बच्चे की मृत्यु चूहों के काटने की वजह ने नहीं बल्कि स्वास्थय संबंधी समस्या से हुई।
बच्चों की मौत की खबर फैलने के तुरंत बाद मानव अधिकार आयोग ने मामले पर संज्ञान लेते हुए अस्पताल अधीक्षक को पत्र लिख एक महीने के भीतर जांच की रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। साथ ही चिकित्सा शिक्षा विभाग ने हॉस्पिटल के डीन से मामले पर स्पष्टीकरण मांगी है। हॉस्पीटल में बच्चों की मौत के मामले में दो नर्सिंग अफसरों को सस्पेंड भी किया गया है। वहीं, अन्य अधिकारीयों को सो कॉज नोटिस दिया गया है।
हालांकि, हॉस्पिटल प्रशासन का बच्चों की मौत पर कुछ और ही कहना है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की मौत चूहों के काटने से नहीं बल्कि इंफेक्शन से हुई है। अब मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। इसमें डॉ. एसबी बंसल, डॉ. शशि शंकर शर्मा, डॉ. अरविंद शुक्ला, डॉ. निर्भय मेहता, डॉ. बंसल निगवाल और नर्सिंग ऑफिसर सिस्टर दयावती दयाल शामिल हैं।
मामले पर विपक्ष में भी काफी आक्रोश दिखाई दे रहा है। इंदौर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चिंटू चौकसे ने महाराजा यशवंतराव अस्पताल के अधीक्षक को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है। चौकसे ने कहा कि अगर सरकार इस मामले में जिम्मेदारी तय करने में विफल रहती है तो कांग्रेस 9 सितंबर को विरोध प्रदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि एमवाय अस्पताल मालवा और निमाड़ क्षेत्र में गरीबों के लिए सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुविधा है, जिसे 'सात मंजिला अस्पताल' के नाम से जाना जाता है, जहां दूर-दराज के क्षेत्रों से मरीज इलाज के लिए आते हैं।
उन्होंने अस्पताल में चूहों के बिलों को हटाने के लिए तत्काल अभियान चलाने की मांग की और अधीक्षक को अविलंब बर्खास्त करने पर जोर दिया। उन्होंने चेतावनी दी, "अगर मांग पूरी नहीं हुई तो इंदौर कांग्रेस 9 सितंबर को डिविजनल कमिश्नर के कार्यालय पर प्रदर्शन करेगी।"