जबलपुर। भाजपा के सीनियर विधायक व खनन कारोबारी संजय पाठक एक बार फिर चर्चा में हैं। राज्य के दूसरे सबसे अमीर विधायक संजय पाठक पर हाईकोर्ट के जज को खरीदने की कोशिश के आरोप लगे हैं। उन्होंने अवैध खनन मामले की सुनवाई कर रहे जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा को सीधे फोन घुमा दिया। इसके बाद जस्टिस मिश्रा ने खुद को उस केस की सुनवाई से अलग कर लिया।

दरअसल, यह पूरा मामला अवैध खनन के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली हाई कोर्ट में दायर एक रिट याचिका से संबंधित है। याचिका बीजेपी विधायक संजय पाठक के परिवार से जुड़ी कंपनियों के अवैध खनन पर कार्रवाई के लिए लगाई गई थी। याचिकाकर्ता आशुतोष मनु दीक्षित ने इसके जरिए मांग की थी कि शिकायत के बाद भी पाठक की कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। याचिका दायर होने के कुछ दिन बाद खनिज विभाग ने पाठक के परिवार से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ 443 करोड़ का जुर्माना लगाया था।

ये अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें किसी हाईकोर्ट के जज ने खुद खुलासा किया है कि सत्ताधारी दल के विधायक ने केस के सिलसिले में सीधे उनसे बातचीत की कोशिश की है। जस्टिस विशाल मिश्रा ने एक सितंबर के अपने आदेश में कहा कि पाठक ने उनसे फोन कर बात करने की कोशिश की। इसलिए मैं इस रिट याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हूं। जस्टिस मिश्रा ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया और एमपी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से इस केस को दूसरी बेंच के सामने लिस्टिंग के लिए रखने को कहा है।

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अरबपति भाजपा विधायक संजय पाठक लंबे समय से विवादों में रहे हैं। कटनी में उनका प्रभाव माना जाता है। ऐसे में जज को धमकाने के मामले पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं कि आखिर विधायक न्यायालय के कामकाज में हस्तक्षेप क्यों कर रहे हैं? कांग्रेस नेता कुणाल चौधरी ने कहा कि यह मामला केवल एक विधायक का नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता का सवाल है। उन्होंने मुख्यमंत्री और भाजपा नेतृत्व से मांग की है कि वे संजय पाठक के खिलाफ कार्रवाई करें और जनता को बताएं कि पार्टी का इस तरह के दबाव की राजनीति से क्या लेना-देना है। बहरहाल, भाजपा की ओर से अब तक इस मामले पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।