ग्वालियर। दो अक्तूबर को गांधी जयंती के मौके पर हिंदू महासभा के आयोजन को लेकर विवाद बढ़ गया है। दरअसल, बापू के हत्यारे गोडसे के सम्मान में नारेबाजी करने के बाद हिंदू महासभा ने एक ऐतिहासिक मगर भुलाए जा चुके तथ्य का क्रेडिट लेने की कोशिश की है। हिंदू महासभा ने दावा किया है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या से पहले गोडसे ने सिंधिया राजघराने की पिस्तौल से ग्वालियर में ट्रेनिंग ली थी।



जब पूरा विश्व गांधी जी की जयंती मना रहा था, ग्वालियर में हिन्दू महासभा के लोगों ने गोडसे के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किया। यहां हिंदू महासभा के उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज ने गोडसे की मदद के लिए ग्वालियर राजघराने की तारीफ की। भारद्वाज ने कहा, 'गांधी ने देश का विभाजन कराया था। हिंदू महासभा हुतात्मा नाथूराम गोडसे ने गांधी के वध का निर्णय लिया। वे ग्वालियर आए और तीन दिन तक लगातार ग्वालियर में उन्होंने सिंधिया राजवंश की बंदूक से रिहर्सल की और ग्वालियर से जाकर सबसे पहले उन्होंने गांधी का वध किया।'





हिंदू महासभा का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। कांग्रेस ने इसपर ज्योतिरादित्य सिंधिया से स्पष्टीकरण मांगा है। पूर्व मंत्री व भोपाल से कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कहा है कि ज्योतिरादित्य यदि इस बयान पर स्पष्टीकरण नहीं देते हैं तो यह माना जाएगा कि वह इसका समर्थन करते हैं।



हिंदू महासभा ने ग्वालियर में गांधी और हुतात्मा गोडसे, आप्टे विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया था। इस दौरान हिंदू महासभा के नेताओं ने हत्यारे गोडसे और उसके मददगार नारायण आप्टे को सबसे बड़ा देशभक्त बताया। उन्होंने यहां गोडसे की तस्वीर लगाकर पूजा-अर्चना भी की। साथ ही पाठ्य पुस्तक में गोडसे की गाथा शामिल करने की मांग की। इतना ही नहीं उन्होंने ऐलान किया कि देशभर में गोडसे की मूर्तियां लगाई जाएंगी।



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कार्यक्रम के दौरान उठो जवानों, ठोको खंब, चलो कराची फेंको बम और हिंदू सेवा प्रचंड हो, भारत देश अखण्ड हो जैसे नारे भी लगाए गए। बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब ग्वालियर में इस तरह के आयोजन हुए हैं। हिंदू महासभा के लोग हर साल गांधी जयंती व अन्य मौकों पर इस तरह के  आयोजन करते हैं।



साल 2017 में तो यहां गोडसे का मंदिर स्थापित करने की भी कोशिश हो चुकी है। मंदिर स्थापना ठीक उसी जगह पर चाहते हैं, जहां नाथूराम गोडसे बापू की हत्या से कुछ दिनों पहले आकर रुका था। दावा है कि गोडसे 20 जनवरी 1948 को ग्वालियर पहुंचा और दौलतगंज स्थित हिंदू महासभा के ऑफिस में ही 10 दिनों तक रुका था। यहीं उसने पिस्तौल चलाने की ट्रेनिंग ली और बापू की हत्या की साजिश रची। बंदूक चलाने की ट्रेंनिग के बाद उसने हिंदू महासभा के दत्तात्रेय परचुरे के सहयोग से ही 500 रुपए में ऑटोमैटिक बेरेटा पिस्तौल खरीदी थी।