जबलपुर। मध्‍य प्रदेश सिविल जज (जूनियर डिवीजन) भर्ती परीक्षा को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय ने परीक्षा का परिणाम दोबारा जारी करने के आदेश दिए हैं। अब संशोधित रिजल्ट इसलिए जारी होगा क्योंकि आरक्षित वर्ग की सीटों पर बेहद कम चयन हुआ है, जिससे चयन प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं।

जबलपुर हाईकोर्ट ने 121 पद खाली रहने और अनुसूचित जनजाति (ST) के एक भी अभ्यर्थी का चयन नहीं होने व अनुसूचित जाति (SC) से सिर्फ एक का चयन होने को कोर्ट ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में अत्यंत गंभीर कहा है। न्यायालय ने अपने फैसले में न्यूनतम अंकों में छूट देकर संशोधित सूची बनाने का आदेश परीक्षा सेल को दिया है। 

कोर्ट ने कहा कि मुख्य परीक्षा के लिए SC के लिए 45% और ST के लिए 40% अंक न्यूनतम माने जाएं। इतना ही नहीं साक्षात्कार के न्यूनतम 20 अंकों में भी राहत दी जाए। परीक्षा सेल को संशोधित सूची अगली सुनवाई में पेश करनी होगी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और पुष्पेंद्र शाह ने कोर्ट को बताया कि परीक्षा सेल ने आरक्षण नीति का सही ढंग से पालन नहीं किया। बैकलॉग पदों को अनारक्षित वर्ग को देना, न्यूनतम योग्यता में छूट न देना और साक्षात्कार में कम अंक देना भेदभाव को दर्शाता है।

बता दें कि मप्र सिविल जज, जूनियर डिवीजन (Entry Level) 2022 का नतीजा 12 नवंबर को घोषित हुआ था। 191 पदों के लिए हुए इस एग्जाम ने केवल 47 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। इसमें इंदौर की भामिनी राठी मप्र में टॉपर रहीं। उन्होंने रिटन और इंटरव्यू में 450 में से 291.83 नंबर हासिल किए हैं। दूसरे नंबर पर गुना की हरप्रीत कौर परिहार रहीं। उन्होंने 281.83 नंबर हासिल किए। तीसरे नंबर पर रिया मंधानिया रहीं, जिन्होंने 281.50 नंबर प्राप्त किए हैं।