जबलपुर। जबलपुर में ब्लैक फंगस का कहर जारी है। शहर के सुभाष चन्द्र मेडिकल कॉलेज में अकेले ब्लैक फंगस के 22 मरीज़ भर्ती हैं। ब्लैक फंगस का कहर शहर में इस कदर जारी है कि जबलपुर में ब्लैक फंगस के ऑपरेशन के बाद ज़रूरी एंटी फंगल इंजेक्शन की किल्लत शुरू हो गई है। दर दर भटकने के बाद भी मरीज़ के परिजन इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। 

परिजनों की लाचारी का कुछ ऐसा ही दृश्य शनिवार को जबलपुर में देखने को मिला। जब ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज़ के इलाज के लिए डॉक्टर तैयार तो हो गए लेकिन उन्होंने मरीज़ के परिजनों को यह स्पष्ट तौर पर कह दिया कि वे ऑपरेशन तो कर देंगे लेकिन इसके बाद एंटी फंगल इंजेक्शन की व्यवस्था उन्हें खुद करनी होगी। इसके बाद परिजन प्रशासन से लेकर दवा सप्लायरों के पास चक्कर काटते रहे लेकिन शनिवार देर रात तक इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं हो पाई थी। 

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बीते दिन जबलपुर में कुल तीन मरीजों के ब्लैक फंगस का इलाज किया गया। जिसमें संक्रमण के चलते दो लोगों के जबड़े खराब हो जाने के कारण दोनों के जबड़े निकालने पड़े। हालांकि राहत भरी बात यह रही कि जबलपुर में शनिवार को ब्लैक फंगस का सफल ऑपरेशन होने के कारण दो लोगों की आंख की रोशनी बचा ली गई। एक सफ़ल ऑपरेशन जबलपुर हॉस्पिटल तो दूसरा सुभाष केंद्र मेडिकल कॉलेज में किया गया। 

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जबलपुर में ब्लैक फंगस के कहर ने शहर में हड़कंप की स्थिति पैदा कर दी है। यही हाल राजधानी भोपाल का भी है। भोपाल में भी ब्लैक फंगस के कारण दो मरीजों की मौत हो चुकी है। ब्लैक फंगस को म्यूकोर माईकोसिस के नाम से भी जाना जाता है। ब्लैक फंगस मरीज़ के नाक के ज़रिए आंखों में प्रवेश करता है, और फिर इसका संक्रमण इंसान के दिमाग तक पहुंच जाता है। कोरोना से ठीक होने के बाद मरीज़ ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। इस घातक बीमारी से ज़्यादा खतरा डायबिटीज़ के मरीजों को है।