भोपाल। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान को सत्ता हथियाने वाले गिरोह का सरगना करार दिया है। कांग्रेस ने लोगों को याद दिलाया है कि शिवराज जनता के चुने हुए मुख्यमंत्री नहीं हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, 'एक बात हमेशा याद रखना, —शिवराज जनता के चुने मुख्यमंत्री नहीं बल्कि विधायक ख़रीदकर सत्ता हथियाने वाले गिरोह के सरगना हैं।' 





दरअसल, कांग्रेस अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से लगातार सीएम शिवराज को एक्सपोज करने वाली खबरें साझा कर राज्य सरकार के झूठ को उजागर कर रही है। कांग्रेस ने आज ही एक अन्य ट्वीट में राशन घोटाले की पोल खोली है। कांग्रेस ने लिखा, 'शिवराज का सच उजागर, ―लोगों को नहीं मिला मुफ़्त राशन वितरण का लाभ। प्रदेश के कई जिलों में गरीबों को नहीं मिला राशन, शिवराज के सामने आदिवासी महिला ने सरकारी दावों की पोल खोली। शिवराज जी, आप सिर्फ़ घोषणा करते हैं।' 





कांग्रेस ने एक हाल ए मध्य प्रदेश का पोस्टर भी जारी किया है। इसमें मीडिया की हेडलाइन्स राज्य की दुर्दशा बयां कर रही है। इसके साथ कांग्रेस ने लिखा, 'तड़पता और सिसकता मध्य प्रदेश, जंगलराज में बिलखता मध्य प्रदेश।'





बता दें की पिछले साल मार्च के पहले हफ्ते कांग्रेस के करीब 28 विधायक गायब हो गए थे। सभी विद्यायकों ने बैंगलोर में डेरा जमा लिया था। इससे जनता द्वारा चुनी हुई कमलनाथ सरकार विधानसभा में अल्पमत में आ गई। इसी के बाद राज्य में 15 महीनों के भीतर चुनी हुई सरकार गिराने में बीजेपी कामयाब हुई और शिवराज सिंह चौहान जनता द्वारा नकारे जाने के बाद भी फिर से सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए।



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बीजेपी ने इस पूरे घटनाक्रम के दौरान खरीद-फरोख्त से साफ इनकार कर दिया था। हालांकि, बाद में बेंगलुरु भागने वाले सभी विधायक बीजेपी में शामिल हो गए और पार्टी की टिकट पर उपचुनाव लड़े। इससे खरीद फरोख्त की आशंका गहरा गयी। यह एक अजीबोगरीब घटना थी जिसमें जनता द्वारा चुने हुए  विद्यायकों द्वारा राजनीतिक सौदेबाजी कर इस्तीफा दिया गया और वे दुबारा चुनाव में खड़े हो गए। 



कांग्रेस ने उस दौरान इसे जनमत का सौदा करार दिया था। राज्य के कई इलाकों में इन नेताओं को बिकाऊ कहकर भी पुकारा जाने लगा। हाल ही में पेगासस जासूसी कांड के खुलासे के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी आशंका जताई है कि मध्य प्रदेश में सरकार गिराने के लिए इस स्पाईवेयर को निशाना बनाया गया। 



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माना जा रहा है की सिंधिया के साथ बीजेपी में जाने वाले नेताओं और उनके करीबियों की जासूसी कर उनकी कमजोर नब्ज पकड़ी गई। उन्हें या तो ब्लैकमेल किया गया या फिर पैसों का लालच दिया गया और फिर वे तख्तापलट में साथ आने को राजी हुए। बहरहाल शिवराज किसी तरह कुर्सी तक पहुंचने में तो कामयाब हो गए लेकिन जानकर इसे चार दिन की चांदनी मान रहे हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक उनकी कुर्सी खतरे में है क्योंकि कमलनाथ सरकार गिराने में शामिल बीजेपी के अन्य नेता भी कुर्सी पाने की होड़ में लगे हुए हैं।