भोपाल। मध्य प्रदेश में इस बार सावन माह सूखा ही गुजर गया इस महीने प्रदेशभर में बारिश थमी रही। सावन महीने में हर साल के मुकाबले 10 प्रतिशत कम बारिश हुई। सबसे कम बारिश सतना, अशोकनगर, मंदसौर जिले में हुई है। यहां औसत से 42 से 35 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। वहीं पूरे प्रदेश में इस सीजन 18 फीसदी कम बारिश हुई है। बारिश नहीं होने से फसलें सूखने लगीं और भूजलस्तर भी कम होने जिससे कई जिलों से जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग उठने लगीं हैं।

अगस्त महीने में राजधानी भोपाल में 326 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी। लेकिन अभी तक सिर्फ 112 मिलीमीटर बारिश हुई है। अशोकनगर, मंदसौर, सतना में फसलें सूखने लगी हैं। तालाबों का जलस्तर कम हो गया। सभी डैम खाली पड़े हुए हैं। इन शहरों में पेयजल सप्लाई करने वाले स्टॉपडैम में 20 फीसदी ही पानी बचा हुआ है। इसलिए इन जिलों से किसानों और शहरवासियों द्वारा जिले को सूखा प्रभावित क्षेत्र घोषित करने की मांग की जा रही है।

मध्य प्रदेश शासन के पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विभाग निगम के उपाध्यक्ष अजय प्रताप सिंह यादव ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर कहा कि अशोकनगर नगर में बारिश नहीं होने की वजह से फसलें सूखने लगी हैं। जिससे किसान परेशान हैं वहीं डैम और तालाब नहीं भरने से रवि की फसलों को भी पानी नहीं मिल पाएगा। जिले के तालाब खाली होने की वजह शहर में पानी सप्लाई में भी कटौती होने लगी है। ऐसे में जिले के सभी किसान चाहते हैं की जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए।

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, प्रदेश में अभी कोई नया सिस्टम एक्टिव नहीं है। इस कारण तेज बारिश का अनुमान नहीं है। वहीं मानसून पर ब्रेक लगने से गर्मी का असर बढ़ गया है। पारा अब 30 से 35 तक जा रहा है जिससे मौसम में गर्मी है और जमीन की नमी तेजी से सूख रही है और फसलों को नुकसान पहुंच रहा है।