जबलपुर। संस्कारधानी में निजी अस्पताल की मनमानी का मामला समाने आया है, जहां एक मरीज की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव को करीब 15 घंटे तक कैद रखा। सड़क हादसे में घायल पन्ना के फारेस्ट गार्ड को इलाज के लिए जबलपुर रेफर किया गया था। 26 जुलाई से अब तक परिजन 5 लाख रुपए जमा कर चुके थे। मरीज की तबीयत बिगड़ती जा रही थी, लाइफ सपोर्ट सिस्टम के बाद भी मरीज की मौत हो गई। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने मरीज का शव नहीं लौटाया। अस्पताल प्रबंधन 90 हजार रुपए की डिमांड करता रहा। उसने गुरुवार सुबह 3 बजे से शाम 6 बजे तक शव को बंधक बना कर रखा। आखिरकार मृतक फारेस्ट गार्ड के बेटे विकास सिंह ने किसी तरह से SDM ऋषभ जैन से मामले की शिकायत की। जिसके बाद SDM ने तत्परता दिखाते हुए कुछ अफसरों को अस्पताल भेजा जिसके बाद परिजनों को उनके मरीज का शव मिल सका।

मृतक के बेटे का कहना है कि उसके पिता डीलन सिंह फारेस्ट विभाग में गार्ड थे। पिछले दिनों सड़क हादसे में वे घायल हो गए थे। हालत बिगड़ने पर उन्हें इलाज के लिए पन्ना से रेफर करवा कर जबलपुर के मुखर्जी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। बेटे का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के लिए 5 लाख रुपए एडवांस जमा करवा लिया था। लेकिन उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। बुधवार देर रात उनके पिता की मौत हो गई। जिसके बाद मुखर्जी अस्पताल के डाक्टरों ने 90 हजार की डिमांड करते हुए कहा था कि अगर शव चाहिए तो जल्द से जल्द पैसे जमा करवा दिया जाए। वहीं बेटे का कहना था कि अब उनके पास पैसे नहीं हैं, वे पहले ही अपनी सारी जमा पूंजी अस्पताल को दे चुके हैं।

अपनी सफाई देते हुए अस्पताल प्रबंधन ने कहा है कि एक्सीडेंट का केस होने की वजह से शव देने के लिए पुलिस का इंतजार किया जा रहा था। उन्होंने शव को बंधक बनाने की बात से इनकार किया है।