इंदौर। स्वच्छता के मामले में लगातार आठ साल से देश में नंबर वन इंदौर की स्थिति स्वास्थ्य के मामले में काफी गंभीर है। हाल ही में इंदौर हार्ट क्लब ने 4 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की, जिसमें 30% लोग हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से प्रभावित पाए गए। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें 12% बच्चे भी शामिल हैं।

इंदौरियों में स्वास्थ्य के इस स्थिति पर देश-विदेश के कार्डियोलॉजिस्ट्स ने गंभीर चिंता जताई है। अमेरिका के प्रो. डॉ. प्रकाश डिडवानिया (यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क, सेन फ्रांसिस्को) ने कहा कि भारत में दिल की बीमारियों के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं और इंदौर की हालात बेहद चिंताजनक हैं। सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों के डॉक्टरों और कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा ये आंकड़े दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किए गए जो कि हैरान कर देने वाले थे।

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डॉ. डिडवानिया ने आगे बताया कि बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी में हृदय रोग के रिस्क फैक्टर्स बढ़ रहे हैं। अचानक हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट की घटनाओं के मुख्य कारण खराब लाइफस्टाइल और मोटापा हैं। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कोलेस्ट्रोल और मोटापा, ये सभी नियंत्रित किए जा सकते हैं, लेकिन लोगों को इसके प्रति गंभीरता दिखानी होगी। उनकी राय है कि हृदय रोगों को रोकने के लिए प्रिवेंशन सबसे प्रभावी उपाय है और इसे बचपन से शुरू करना चाहिए।

दिल्ली के डॉ. एचके चोपड़ा ने पेट की गोलाई यानी तोंद पर नियंत्रण को हार्ट की सुरक्षा का अहम पहलू बताया। प्रो. मनचंदा ने जोर देते हुए कहा कि हृदय रोगों का इलाज लाखों रुपए में पड़ता है, जबकि प्रिवेंशन सस्ता और आसान है। चार मुख्य रिस्क फैक्टर्स पर नियंत्रण ही बेहतर नतीजे दिला सकता है जो कि व्यायाम ना करना, शराब का सेवन, प्रदूषित वातावरण और स्मोकिंग करना है।

डॉ. एके पंचोलिया ने योग को नियमित जीवन में शामिल करने की सलाह दी, क्योंकि यह तनाव कम करता है और मोटापा घटाने में मदद करता है। उन्होंने एडवांस इंजेक्शन की जानकारी भी दी, जो शरीर के फैट को कम करने में सहायक हैं, लेकिन इसके स्थायी असर के लिए संतुलित आहार, व्यायाम और जीवनशैली सुधार बेहद जरूरी हैं। उन्होंने प्रदूषण को भी हृदय रोग का कारण बताया और सरकार से कार्रवाई की उम्मीद जताई।

कॉन्फ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. विद्युत जैन ने बताया कि मोटापा हृदय रोग का प्रमुख कारण है। शरीर में जमा फैट धीरे-धीरे हार्ट और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाता है। इसके लिए घर का खाना, प्रोटीनयुक्त आहार जैसे दाल और टोफू, और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज, साइकिलिंग या वॉक को नियमित दिनचर्या में शामिल करना जरूरी है।

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कॉन्फ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. राकेश जैन ने चेताया कि हमारे पूर्वज रोजाना पैदल चलते, साइकिल चलाते और खेतों में मेहनत करते थे। आज लोग मॉर्निंग वॉक तक छोड़ देते हैं। ज्यादा नमक, शुगर, तली-भुनी चीजें और पैकेज्ड फूड स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। जूस और एनर्जी ड्रिंक में भी छुपी शुगर और फैट हृदय रोग का जोखिम बढ़ाती हैं।

डॉ. जैन ने कहा, "हमारा दिमाग जानता है, लेकिन दिल मानता नहीं। 250 ग्राम का दिल संभालना जरूरी है। जब दिल ठीक नहीं रहेगा, तो कुछ भी नहीं बचेगा।" उन्होंने पैकेज्ड फूड पर कैलोरी, शुगर और फैट की मात्रा बड़े अक्षरों में लिखने की सरकार से मांग की।

कॉन्फ्रेंस की शुरुआत सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के ऑडिटोरियम में सार्वजनिक जागरूकता कार्यक्रम से हुई। एक्सपर्ट्स ने बताया कि अब हृदय रोग केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं है, बल्कि युवा और बच्चे भी तेजी से प्रभावित हो रहे हैं। सही खान-पान, नियमित व्यायाम और तनाव कम करना हेल्दी हार्ट के लिए बेहद आवश्यक है। डिबेट और सवाल-जवाब सत्र में हृदय स्वास्थ्य, जीवनशैली सुधार और बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई।

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