MP में हार्टअटैक के मामलों में डेढ़ गुना बढ़ोतरी, MCCD रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
MCCD 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड के बाद बच्चों और युवाओं में हृदय रोग तेजी से बढ़ा है। 1 से 24 साल तक के युवाओं में हार्ट अटैक के मामले अचानक बढ़े हैं। विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि युवाओं को व्यायाम, सही खानपान और समय पर डॉक्टर से चेकअप जरूर कराना चाहिए।

नई दिल्ली। भारत के महापंजीयक कार्यालय की एमसीसीडी की 2022 की एक रिपोर्ट अब सामने आई है, जिसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच नई चिंता पैदा कर दी है। रिपोर्ट से पता चला है कि बच्चों और युवाओं में हृदय रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। और तो और कोविड महामारी के बाद यह समस्या और गंभीर हो गई है।
युवा पीढ़ी में हार्ट अटैक का नया खतरा
रिपोर्ट में बताया गया है कि मेडिकल सर्टिफाइड मौतों में कुल हृदय रोग से होने वाली मौतों का प्रतिशत शायद उतना बड़ा न हो। लेकिन 1 से 24 साल तक के बच्चों और युवाओं में हृदय से जुड़ी बीमारियों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ इसे गंभीर चेतावनी मान रहे हैं।
ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज के कॉर्डियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. राम रावत बताते हैं कि कोविड के बाद ग्वालियर और चंबल संभाग में युवाओं में हार्ट अटैक और हृदय संबंधी मामले तेजी से बढ़े हैं। इससे पहले ये परेशानियां अधिकतर 35 वर्ष से ऊपर के लोगों में देखने को मिलती थीं।
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कोविड के बाद युवाओं में बढ़ा हृदय रोग का खतरा
रिपोर्ट में कहा गया है कि अब 18 साल की उम्र के युवाओं में भी हृदय रोग की समस्या सामने आ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि युवाओं को नियमित व्यायाम करना चाहिए, धूम्रपान से बचना चाहिए और अगर सीने में दर्द, घबराहट या हार्टबीट में अचानक बदलाव महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर सलाह लेनी चाहिए।
चौकाने वाले आंकड़े
रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2018 में 1 से 4 साल की उम्र के बच्चों में हृदय रोग से होने वाली मौतें केवल 0.6% थीं। लेकिन 2022 में यह आंकड़ा 14.1% तक पहुंच गया। यानी केवल चार साल में में इसमें 2250% की बढ़ोतरी हुई है जो की अविश्वसनीय है। वहीं, 5 से 14 साल के बच्चों में भी 3.7% से बढ़कर 18.6% तक, यानी 403% की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
राज्यों में हृदय रोग की तस्वीर
एमपी में हृदय रोग से होने वाली मौतें 2008 में 19.2% थीं, 2013 में बढ़कर 24.8% और 2022 में 33.9% हो गईं। छत्तीसगढ़ में 2008 में 20.7%, 2013 में 50.7% और 2022 में 27.2% दर्ज की गई। बिहार, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में भी हृदय रोग से मौतों की दरों में बढ़ोतरी देखी गई है। खासकर गुजरात में आंकड़ा 2008 के 21.2% से बढ़कर 2022 में 45.2% हो गया।
हालांकि, इस मामले में छत्तीसगढ़ कुछ हद तक सेफ साइड पर है। वहां कोविड के बाद हृदय रोग से होने वाली मौतों में 9.93% की गिरावट देखी गई। अगर बात करें राष्ट्रीय स्तर पर ह्रदय रोग से होने वाली मौतों की आंकड़े की तो, 2008 में हृदय रोग से होने वाली मौतें 27.7% थीं, जो 2022 में बढ़कर 40.8% तक पहुंच गईं।
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विशेषज्ञों की चेतावनी
रिपोर्ट बताती है कि अब हृदय रोग सिर्फ बुजुर्गों की चिंता नहीं रह गई है। कोविड के बाद बदलती आदतें, गलत खानपान और बढ़ता तनाव युवाओं को भी इस बीमारी के प्रति संवेदनशील बना रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि युवाओं को अपने दिल का ख्याल रखना चाहिए, समय-समय पर चेकअप कराना चाहिए और किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत सलाह लेनी चाहिए।