भोपाल। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कल के बयान पर आज चुप्पी तोड़ दी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल के बयान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि राहुल जी आज जितनी चिंता कर रहे हैं, काश तब की होती, जब मैं कांग्रेस में था। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी इस प्रतिक्रिया से जताना चाहा है कि उन्हें कांग्रेस इसलिए छोड़नी पड़ी, क्योंकि पार्टी नेतृत्व ने उनकी परवाह नहीं की। राहुल गांधी ने कल कहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में रहते तो मुख्यमंत्री बनते, लेकिन बीजेपी में जाकर बैकबेंचर बन गए हैं। 

राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य के बारे में यह टिप्पणी सोमवार को युवा कांग्रेस के कार्यक्रम के दौरान की थी। उन्होंने कहा था कि सिंधिया अगर कांग्रेस में रहते तो एक दिन ज़रूर मुख्यमंत्री बनते। लेकिन अब वे बीजेपी में जा कर बैकबेंचर बन गए हैं। राहुल ने कहा कि सिंधिया के सामने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम करने का विकल्प था। लेकिन सिंधिया ने दूसरा रास्ता अख्तियार करना मुनासिब समझा। इतना ही नहीं, राहुल ने यह भी कहा कि अगर सिंधिया को मुख्यमंत्री बनना है तो उन्हें कांग्रेस में ही वापस आना पड़ेगा। बीजेपी में उन्हें वो जगह नहीं मिलने वाली।  

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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज राहुल गांधी की इसी टिप्पणी का जवाब दिया है। सिंधिया ने महज 8 सेकेंड के इस जवाब में सिर्फ इतना ही कहा है, "जितनी चिंता राहुल जी को अब है, काश उतनी चिंता होती, जब मैं कांग्रेस में था। इससे ज़्यादा मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं।" सिंधिया के इस जवाब में राहुल गांधी से यह शिकायत तो ज़रूर झलक रही है कि उन्होंने कांग्रेस में रहते उतनी परवाह नहीं की, जिसकी वे उम्मीद कर रहे थे। लेकिन गौर करने लायक बात यह है कि सिंधिया ने राहुल की इस टिप्पणी को खारिज नहीं किया कि बीजेपी में जाने के बाद वे बैकबेंचर बन गए हैं, उनकी वो हैसियत नहीं रह गई है जो कांग्रेस में हुआ करती थी। कहीं न कहीं, इसे राहुल गांधी के इस मूल्यांकन के प्रति सिंधिया की परोक्ष सहमति भी माना जा सकता है। साथ ही सिंधिया ने जिस तरह "काश इतनी चिंता तब होती, जब मैं कांग्रेस में था" कहा, उसमें कांग्रेस छूटने का अफसोस भी कहीं न कहीं झलक ही रहा है।

दिलचस्प बात यह भी है कि मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के लगभग एक साल बाद पहली बार राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक दूसरे के बारे में सीधी टिप्पणी की है। पाला बदलने से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया की गिनती राहुल गांधी के सबसे करीबी लोगों में होती थी। खुद राहुल ने भी सिंधिया के पाला बदलने के फौरन बाद कहा था कि वे इकलौते व्यक्ति थे, जिन्हें उनके घर आने के लिए पहले से अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी।