ग्वालियर। उपचुनाव की तरह ही बीजेपी ने अब निकाय चुनाव से पहले भी राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को पोस्टर्स से गायब करना शुरू कर दिया है। यह चर्चा सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में लगे बीजेपी के पोस्टर्स को देखकर हो रही है। हैरान करने वाली बात यह है कि सिंधिया के सबसे करीबी समझे जाने वाले ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के बनवाए पोस्टर्स में भी सिंधिया की तस्वीर नहीं है। 



अपने गढ़ में अपने ही समर्थकों के पोस्टर्स से सिंधिया के गायब होने को लेकर कांग्रेस के छात्र संगठन ने करारा तंज किया है। कांग्रेस की छात्र विंग एनएसयूआई (NSUI) के प्रदेश प्रवक्ता सुहृद तिवारी ने ट्वीट किया, 'श्रीअंत बीजेपी के पोस्टर से ऐसे गायब हैं, जैसे गधे के सर से सींग।'  





दो दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर में विकास कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण किया था। इस दौरान ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर द्वारा नेताओं के स्वागत में ये पोस्टर लगाए गए थे। हैरान करने वाली बात यह है कि सभी नेताओं को तो जगह दी गई लेकिन सिंधिया उसमें जगह बनाने में कामयाब नहीं रहे। वह भी तब जबकि पोस्टर उनके कट्टर समर्थक रहे प्रद्युम्न सिंह तोमर का हो और ग्वालियर अंचल के स्थानीय नेताओं तक को जगह दी गई हो।



 



 



ग्वालियर से आई इन तस्वीरों ने प्रदेश के सियासी महकमें में हलचलें तेज कर दी है। इन तस्वीरों के सामने आने के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या स्वघोषित टाइगर सिंधिया अब अपने गढ़ ग्वालियर में भी बीजेपी के लिए अहमियत नहीं रखते हैं। आखिर अबतक हर काम सिंधिया से पूछकर करने वाले, सिंधिया को पैरों में चप्पल तक पहनाने वाले तोमर ने उन्हें किनारे क्यों लगा दिया?



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बहरहाल, प्रद्युम्न सिंह तोमर इन पोस्टर्स से जो भी संदेश देना चाहते हों, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा महीनों से है कि वे सीएम शिवराज से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। इस बात की चर्चा तब भी हुई थी जब केवल सिंधिया के सामने झुकने वाले तोमर उपचुनाव के दौरान शिवराज के पैरों में गिर गए थे। खबर यह भी है कि सीएम को खुश करने के लिए ही तोमर ने सिंधिया से दूरी बना ली है। तोमर बीते दिनों ग्वालियर से गायब होकर लगातार 20 दिन तक भोपाल में रहे और सिंधिया के जन्मदिन में भी नहीं गए। ऐसा पहली बार हुआ जब सिंधिया ग्वालियर में मौजूद हों और तोमर उनके साथ न रहें।



ऐसा पहली बार नहीं है जब बीजेपी के पोस्टर्स में सिंधिया की उपेक्षा की गई हो। सिंधिया द्वारा बीजेपो में जाने के महज दो महीने बाद से ही यह सिलसिला शुरू है और दर्जनों ऐसी तस्वीरें आई हैं जिसमें उन्हें जगह नहीं दी गई है। उपचुनाव में तो चुनाव प्रचार अभियान से लेकर बीजेपी के मेनिफेस्टो तक में सिंधिया की उपेक्षा किए जाने की खबरें आई थीं।