मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब पूर्व मंत्री इमरती देवी का कथित ऑडियो वायरल हुआ है। इस ऑडियो में इमरती देवी एक कार्यकर्ता को आंखें फोड़ने की धमकी देती सुनाई दे रही हैं। इमरती देवी सिंधिया समर्थक उन मंत्रियों में से हैं जिन्होंने कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी जॉइन की है। हालांकि इमरती देवी ने इस ऑडियो को फर्जी बताया है। 

कांग्रेस सरकार में मंत्री रही ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया समर्थक इमरती देवी भाजपा में शामिल हो चुकी हैं।  इमरती देवी इस ऑडियो में अपने पुराने समर्थक को आंख फोड़ने की धमकी दे रहीं हैं। समर्थक ने इस दौरान मुन्नालाल की हालत देखने की बात कही थी जिसके बाद इमरती देवी को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपना आपा खो दिए। मुन्नालाल भी सिंधिया समर्थक विधायकों में से हैं इमरती की तरह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आ गए हैं। विधानसभा क्षेत्र में दौरे के दौरान उनपर जमकर पत्थरबाजी हुई थी जिससे उन्हें काफी चोटें आई है।

दरअसल, मध्यप्रदेश के डबरा विधानसभा क्षेत्र के पठा निवासी धर्मेंद्र बघेल ने पूर्व मंत्री को फोन लगाकर बोरिंग और बिजली की सुविधा बहाल करने की गुहार लगाई थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि इलाके में बीजेपी का माहौल खराब है और उन्होंने मुन्नालाल का भी जिक्र किया था जिसके नाम सुनते ही इमरती देवी भड़क गई।

वायरल ऑडियो में पहले तो इमरती देवी ने आश्वासन दिया है कि बिजली और बोरिंग का व्यवस्था किया जाएगा लेकिन बाद में बघेल ने जैसे ही कहा कि बीजेपी का माहौल खराब है और मुन्नालाल का हालत देखिए तो मंत्री जी भड़क गईं। उन्होंने कहा, 'तुम इमरती देवी को जानते हो? क्या कह रहे थे मुन्नालाल की हालत देखी? आंखें फुड़वा देंगे। हमें नहीं जितना चुनाव अब न तो लाइट लगेगी न बोरिंग मशीन। करो तुम मेरा भी हवा खराब।'

गौरतलब है कि मध्‍य प्रदेश में इनदिनों ऑडियो और वीडियो वायरल होने के बाद राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में गए ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया का एक कथित ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें वे विधानसभा टिकट के लिए 50 लाख रुपए के लेन-देन कि बातें कर रहे थे। वहीं मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक ऑडियो व वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे खुलासा करते हुए सुनाई दे रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्‍व के कहने पर मध्‍य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराया गया। वे कहते सुनाई दे रहे हैं कि ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया और तुलसी राम सिलावट साथ नहीं देते तो कमलनाथ सरकार गिराना संभव नहीं था।