ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर हाईकोर्ट ने तीन बच्चों के पिता को नौकरी के लिए अयोग्य करार दिया है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि तीसरा बच्चा होने के बाद वे नौकरी के लायक ही नहीं हैं। नौकरी के दौरान तीसरा बच्चा होने पर सहायक बीज प्रमाणन अधिकारी को सरकारी सेवा के लिए अयोग्य करार दिया गया था। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी नौकरी के बहाली की मांग की थी।

जानकारी के मुताबिक लक्षमण सिंह बघेल ने साल 2009 में व्यापम के माध्यम से हुए सहायक बीज प्रमाणन अधिकारी की परीक्षा दी थी और प्रदेशभर में उनका रैंक 7वें स्थान पर था। खास बात यह है कि 30 जून 2009 को जब बघेल ने फॉर्म जमा किया तब उनके दो बच्चे थे, लेकिन उसी साल 20 नवंबर को उनके घर तीसरे बच्चे का जन्म हुआ।

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बघेल पर आरोप है कि ज्वाइनिंग के वक़्त जब उनका डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन हुआ तब उन्होंने तीसरा बच्चा होने की बात छिपा ली, हालांकि आवासीय प्रमाण पत्र और राशन कार्ड में उन्होंने तीसरे बच्चे की भी जानकारी दी थी। मामला जब विभाग के संज्ञान में आया तो बघेल ने कह दिया कि तीसरा बच्चा साल 2012 में हुआ है। हालांकि, उन्हें नौकरी से अयोग्य करार दिया गया।

हाईकोर्ट में बघेल ने तर्क दिया था कि नौकरी के लिए आवेदन के दौरान वह दो बच्चों का पिता था। तीसरे बच्चे का जन्म परीक्षा देने के बाद हुआ इसलिए वह इस कानून के दायरे में नहीं आता है। बघेल का तर्क था कि एक उम्मीदवार की योग्यता आवेदन जमा करने की तिथि से मापी जाती है। हालांकि, कोर्ट द्वारा इन तर्कों को दरकिनार करते हुए बघेल की अपील को खरीज कर दिया गया।

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दरअसल, मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा अधिनियम-1961 के तहत जिन अभ्यर्थियों के तीसरे बच्चे का जन्म 26 जनवरी 2001 के बाद हुआ हो उनको सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी। यदि किसी महिला और पुरुष को इस कानून के लागू होने के बाद तीसरा बच्चा होता है तो वह सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य माना जाएगा। उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी और न ही शासकीय योजनाओं का लाभ मिल पाएगा। इस कानून में जानकारी को छिपाकर नौकरी करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है।