सिहोर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृहक्षेत्र सिहोर के शासकीय जिला अस्पताल में कुप्रबंधन का एक शर्मनाक चेहरा सामने आया है। यहां अस्पताल के बाहर एक महिला दर्द से तड़पती रही, लेकिन इलाज तो दूर अस्पताल का गेट तक नहीं खुला। आखिरकार इलाज के अभाव में गर्भवती महिला और गर्भ ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना के बाद भी अस्पताल प्रबंधन अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ता नजर आ रहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार-गुरुवार की दरम्यानी रात करीब एक बजे चांदबढ़ निवासी प्रीतम विश्वकर्मा अपनी 28 वर्षीय पत्नी दीपिका को प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल लेकर आए थे। प्रीतम के मुताबिक यहां अस्पताल का दरवाजा लगा हुआ था और वहां कोई गार्ड तक मौजूद नहीं था। इस दौरान परिजन दरवाजा खोलने के लिए चिल्लाते रहे लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला।

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प्रीतम ने बताया कि उनकी पत्नी प्रसव पीड़ा के कारण कराह रही थी और अस्पताल के अंदर मौजूद लोगों ने उन्हें देखा भी बावजूद कोई दरवाजा खोलने नहीं आया। आखिरकार दर्द से तड़प-तड़पकर दीपिका ने अस्पताल के दहलीज पर ही दम तोड़ दिया। साथ ही गर्भस्थ शिशु की भी मौत हो गई। इतना ही नहीं प्रीतम के चाचा राजेश विश्वकर्मा ने कहा कि दीपिका की मौत के बाद भी अस्पताल प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़ा। इसके बाद परिजन पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल के बाहर इंतजार करते रहे। लेकिन अगले दिन सुबह करीब दो बजे पोस्टमार्टम हो पाया। 

मामले पर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ अशोक मांझी का कहना है कि अस्पताल का गेट तो 24 घंटे खुला रहता है। डॉक्टर भी हर समय मौजूद रहते हैं। जिस प्रसूता का मौत हुआ उसका ब्लडप्रेशर बढ़ा हुआ था और झटके आ रहे थे। इसी वजह से उसकी मौत हुई। परिजन अस्पताल प्रबंधन पर झूठा आरोप लगा रहे हैं।