भोपाल। शिवराज सरकार को बड़ा झटका लगा है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने राज्य सरकार की तरफ से 8 अक्टूबर काे किए गए 12 ज्वाइंट और डिप्टी कलेक्टरों के तबादलों को गलत मानते हुए रद्द कर दिया है। आयाेग ने यह फैसला प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और सांसद विवेक तन्खा की तरफ से की गई शिकायत पर कार्रवाई करते हुए किया है। शिवराज सरकार ने आयाेग से अनुमति लिए बिना ही मनमाने ढंग से अफसराें का तबादला कर दिया था। ये सभी तबादले 19 जिलों के उन 28 विधानसभा क्षेत्रों में किए गए थे, जहां उप चुनाव होने हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह एवं विवेक तन्खा ने चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और सुशील चंद्रा से मुलाकात करके शिवराज सरकार के इन मनमाने आदेशों की शिकायत की थी। उन्होंने बताया था कि कांग्रेस ने इसकी शिकायत मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से भी की थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। कांग्रेस ने यह शिकायत भी की है कि अगर मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय में बैठे अफसर सही शिकायतों पर भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, तो उन्हें बदल देना चाहिए। ट्रांसफर किए गए अफसरों को रिटर्निंग ऑफिसर जैसी जिम्मेदारी सौंपी जा रही है जो आचरण संहिता का उल्लंघन है।

कांग्रेस की इन शिकायतों पर केंद्रीय चुनाव आयोग ने जो कार्रवाई की है, उससे साफ है कि शिवराज सरकार ने चुनाव वाले इलाकों में जिस तरह अफसरों के तबादले किए वह पूरी तरह गलत है। इसे राज्य सरकार के इरादों पर कांग्रेस की तरफ से उठाई गई शंकाओं पर चुनाव आयोग की मुहर के तौर पर भी देखा जा सकता है।

कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पिछले छह महीने में शिवराज सरकार की तरफ से चुनावी जमावट करने के लिए किए गए ट्रांसफर और पोस्टिंग की लिस्ट भी चुनाव आयोग को सौंपी है। कांग्रेस का आरोप है कि इन तमाम ट्रांसफर-पोस्टिंग के पीछे चुनावों को प्रभावित करके राजनीतिक लाभ लेने की शिवराज सरकार की मंशा साफ नज़र आती है। चुनाव आयोग फिलहाल छह माह में किए गए इन तबादलों और नियुक्तियों की भी पड़ताल कर रहा है।