जबलपुर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने पटवारियों की हड़ताल को अवैध करार दिया है। शुक्रवार को कोर्ट में किसानों की याचिका पर सुनवाई की गई। हाईकोर्ट के जीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस प्रणय वर्मा की डबल बेंच ने पटवारियों की हड़ताल की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सभी हड़ताली पटवारियों को जल्द से जल्द काम पर लौटने के आदेश दिए हैं। मध्यप्रदेश के करीब 19 हजार से ज्यादा पटवारी पिछले 10 अगस्त से हड़ताल पर थे।

वहीं हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को पटवारियों की मांगें पूरी करने और उनसे बातचीत करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सरकार को हिदायत दी है कि हड़ताली पटवारियों का पक्ष जानने के लिए बातचीत आवश्यक है। कोर्ट ने सरकार को पटवारियों की जायज और जरूरी मांगें पूरी करने पर विचार करने को कहा है।

कोर्ट ने पटवारियों की परेशानियों का निराकरण करने के लिए दो महीने का समय दिया है। सरकार को 60 दिनों के अंदर पटवारियों की समस्याएं दूर करके रिपोर्ट सौंपने को कहा है। किसानों की ओर से यह याचिका मनोज कुशवाहा के साथ कई किसानों ने लगाई थी।

दरअसल पटवारियों की हड़ताल की वजह से राजस्व विभाग के कई काम ठप थे। बाढ़ पीड़ित किसानों की फसलों का सर्वे नहीं हो पा रहा था। 10 अगस्त से अनिश्चित कालीन हड़ताल से पहले भी पटवारी दो दिन काम बंद कर चुके थे। प्रदेश के पटवारियों ने 2 और 3 अगस्त को सामूहिक छुट्टी ली थी। पटवारी 2800 रुपये वेतनमान में बढ़ोतरी, CPTC परीक्षा अनिवार्य करने का विरोध और गृह जिले में पोस्टिंग की मांग कर रहे हैं।

मांगें पूरी नहीं होने पर पटवारियों ने 10 अगस्त से कामबंद हड़ताल शुरू की थी। सभी पटवारियों ने अपने बस्ते कार्यालयों में जमा करवा दिए थे। वे टाइम पे स्केल और वेतन बढ़ाने पर अड़े हैं। उनकी मांग है कि उनसे केवल रेवेन्यू से संबधित कार्य करवाया जाए। दरअसल पटवारियों की ड्यूटी वैक्सीनेशन के काम में भी लगी थी, जिसका उन्होंने विऱोध किया था। अब कोर्ट के आदेश के बाद पटवारियों ने काम पर लौटना शुरु कर दिया है।