भोपाल। मध्यप्रदेश में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की शुरुआत होते ही स्कूलों की पढ़ाई गड़बड़ा गई है। 4 नवंबर से शुरू हुए इस सर्वे में राज्यभर के करीब 65 हजार बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी जुटा रहे हैं। इनमें 15 हजार से ज्यादा शिक्षक शामिल हैं। कई ऐसे हैं जो सिंगल टीचर स्कूल चला रहे हैं और अब पढ़ाई के साथ-साथ सर्वे की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है।
भोपाल के नेवरी मिडिल स्कूल की टीचर आरती शास्त्री कहती हैं,“मेरे स्कूल में पहली से पांचवीं तक के 50 बच्चे हैं और मैं अकेली टीचर हूं। अब BLO की ड्यूटी भी लगा दी गई है। स्कूल शाम चार बजे तक चलता है। ऐसे में अगर मैं डोर-टू-डोर सर्वे के लिए जाऊं तो बच्चों को कौन पढ़ाएगा?” आरती पहली बार किसी चुनावी काम में लगी हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा कि दोनों जिम्मेदारियां कैसे निभाएं।
बड़वई के सरकारी स्कूल की स्थिति और भी चिंताजनक है। यहां 33 बच्चे और दो शिक्षक हैं। दोनों को BLO बना दिया गया है। एक अभिभावक सूरज सिंह कहते हैं, “जब दोनों टीचर सर्वे में रहेंगे तो बच्चों को कौन पढ़ाएगा? अब तो स्कूल बंद ही समझो।” दोनों शिक्षकों ने इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है।
भोपाल के हमीदिया उच्चतर माध्यमिक शाला में 350 छात्र हैं और 17 टीचर। इनमें से आठ की BLO और दो की सुपरवाइजर के रूप में ड्यूटी लगी है। इनमें गणित, विज्ञान और अंग्रेजी पढ़ाने वाले टीचर भी शामिल हैं। एक शिक्षक ने कहा, “हर बार ऐसा होता है। हमें क्लास छोड़कर सरकारी कामों में लगा दिया जाता है। अभी SIR है, फिर जनगणना और फिर पंचायत चुनाव आएंगे। पढ़ाएंगे कब?"
नर्मदापुरम जिले के इटारसी में स्टेशनगंज मिडिल स्कूल की गणित-साइंस टीचर पूजा सोलंकी को BLO असिस्टेंट बना दिया गया है। उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग में उन्हें घर-घर जाकर वोटर डेटा वेरिफाई करने, डुप्लिकेट नाम हटाने और नए वोटर्स का रजिस्ट्रेशन करने का काम बताया गया। वहीं, इटारसी के पीएमश्री स्कूल में प्राचार्य सहित आठ शिक्षकों की SIR ड्यूटी लगी है। प्रभारी प्राचार्य सतीश खलखो ने कहा, “छमाही परीक्षा चल रही है। आधा समय परीक्षा में जाता है और बाकी सर्वे में। दोनों जिम्मेदारियां साथ निभाना मुश्किल है।”
इस पूरी प्रक्रिया का असर सीधे पढ़ाई पर पड़ रहा है। 12वीं बोर्ड की परीक्षा 7 फरवरी से शुरू होनी है और शिक्षकों की BLO ड्यूटी भी उसी दिन तक चलेगी। यानी तैयारी के तीन अहम महीने शिक्षक स्कूल से बाहर रहेंगे। छमाही परीक्षा के दौरान भी गाइडेंस देने वाले टीचर नहीं हैं। सिलेबस पिछड़ रहा है खासतौर पर गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे विषयों में। प्रदेश के करीब छह हजार स्कूल ऐसे हैं जो एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। इनमें से आधे भी BLO बने तो पढ़ाई पूरी तरह ठप हो जाएगी।
शिक्षक संगठन ने भी इसका विरोध किया है। संगठन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र कौशल ने कहा, “2016 में सरकार ने आदेश जारी किया था कि गणित और विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षकों को चुनावी या सरकारी कामों में नहीं लगाया जाएगा। लेकिन इस बार आदेश का पालन नहीं हुआ। जब रिजल्ट खराब होता है तो ठीकरा शिक्षकों पर ही फोड़ा जाता है।”
वहीं, स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों ने जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर डाल दी। उनका कहना है कि यह निर्वाचन से जुड़ा मामला है। इसलिए जवाब आयोग ही देगा। जानकारी के मुताबिक, डीपीआई कमिश्नर शिल्पा गुप्ता ने आयोग को पत्र लिखकर हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी के शिक्षकों को ड्यूटी से मुक्त रखने की सिफारिश की थी। लेकिन उसके बाद भी आदेश जारी कर दिए गए।
इस बीच, लापरवाही बरतने वाले कई BLO पर कार्रवाई भी शुरू हो गई है। नीमच में सात BLO को निलंबित किया गया है। जिनमें पांच शिक्षक, प्रिया सैमुअल, मंगला शर्मा, नजमा शेख, विमला थोरेचा और दिव्यानी प्रजापत, शामिल हैं। आगर मालवा में प्राथमिक शिक्षक गोपाल सिंह को सस्पेंड किया गया। भोपाल में सहायक ग्रेड-3 प्रशांत दुबे को ड्यूटी से गायब रहने पर बर्खास्त किया गया। जबकि, रतलाम में BLO लोकेंद्र सिंह राणावत को निलंबित किया गया है।
अब हालात ये हैं कि एक तरफ टीचर सर्वे कर रहे हैं और दूसरी तरफ स्कूलों की क्लासें खाली पड़ी हैं। शिक्षक कहते हैं, "हमसे हर सरकारी काम करवाया जाता है। साथ ही पढ़ाई बिगड़ने की जिम्मेदारी भी हम पर ही डाल दी जाती है।” चुनाव आयोग के इस आदेश से शिक्षा व्यवस्था को एक बार फिर झटका लगा है।