भोपाल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज भोपाल दौरे पर हैं। रवीन्द्र भवन के हंसध्वनि सभागार में “उत्कर्ष” और “उन्मेष” का शुभारंभ करने के बाद अपने संबोधन में उन्होंने मध्य प्रदेश की तारीफ करते हुए कहा कि ये मेरी मध्य प्रदेश की पांचवी यात्रा। यहां के आठ करोड़ निवासियों को धन्यवाद, राष्ट्रपति बनने के बाद मेरी सबसे ज्यादा यात्राएं MP में हुईं हैं। 

साहित्य और कला पर बोलते हुए प्रेसिडेंट ने कहा कि 'साहित्य और कला ने मानवता को बचाए रखा है। साहित्य जुड़ता भी है और लोगों को जोड़ता भी है। हमारा सामूहिक प्रयास अपनी संस्कृति, लोकाचार, रीति-रिवाज और प्राकृतिक परिवेश को सुरक्षित रखने का होना चाहिए। हमारे जनजाती समुदाय के भाई-बहन और युवा आधुनिक विकास में भागीदार बनें। भारत में 700 कम्युनिटी के आदिवासी, लेकिन उनकी भाषाएं इससे ज्यादा हैं। भाषाओं को बचाकर रखना लेखकों का कर्तव्य है। यह हम सभी का भी दायित्व है।'

राष्ट्रपति का संबोधन हिंदी और अंग्रेजी में दोनों भाषाओं में हुआ। दूसरे देशों से आए अतिथियों को राष्ट्रपति ने फ्रेंडस आॉफ इंडिया कहकर सम्मानित किया। अपने भाषण में राष्ट्रपति मुर्मू ने जयशंकर प्रसाद और रविंद्रनाथ ठाकुर की कविता का भी उल्लेख किया। साहित्य पर आगे बोलते हुए कहा कि संथाली साहित्य में मेरी गहरी रुचि रही है संथाली भाषा को अहमियत प्रदान करने के मेरे प्रयासों को अटल जी ने आशीर्वाद दिया था। प्रदेश की आदिवासी जन्संख्या पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी आदिवासी आबादी MP में रहती है। हमारे प्रयास हो कि जनजातीय समुदाय का संरक्षण हो और जनजातीय युवा आधुनिक विकास में भागीदार भी बनें। 

इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि देश के साहित्य जगत को देखकर मेरा दिल गदगद है, मध्यप्रदेश सौभाग्यशाली है जो इस उत्सव का आयोजन यहाँ हुआ। वासुदेव कुटुंबकम् भारत की संस्कृति है. शरीर के सुख के साथ मन बुद्धि और आत्मा का सुख सिर्फ़ साहित्य, संगीत और कला देती है। जब पीएम मोदी काशी और महाकाल में साक्षात् दण्डवत प्रणाम करते है। ये देश में मूलों को बताता है, ये हमारी एकता है।  ऐसे कार्यक्रम कई लोगों को सामने लेकर आते हैं।  ऐसे आयोजन में दुनिया भर के लोग हैं।

वहीं, राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रपति जी का मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्वागत करता हूं। आपके आगमन से प्रदेश की जनता गौरवांवित महसूस कर रही है। यह आयोजन परम आनंद का उत्सव है। 15 देशों के 550 से अधिक प्रतिभागी इस आयोजन में आए हैं। उन्मेष में कविता और गीतों के अलग से सत्र हो रहे हैं। भारत दुनिया का ऐसा अद्भुत देश है, जहां से ज्ञान विज्ञान की धाराएं प्रभावित होती है।