मध्यप्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और चर्चित पुलिस प्रशासनिक हस्ती राजेंद्र चतुर्वेदी का 7 दिसंबर की रात रांची में निधन हो गया। वे 1969 बैच के भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी रह चुके हैं। वह अपनी सेवाकाल में चंबल क्षेत्र में डाकुओं के आत्मसमर्पण में अहम भूमिका निभाने के लिए जाने जाते थे। भिंड में एसपी रहते हुए उन्होंने मशहूर डाकुओं जैसे फूलन देवी, मलखान सिंह और घंसा बाबा जैसे कुख्यात गैंगस्टर को आत्मसमर्पण के लिए तैयार किया था।
80 के दशक में जब चंबल में डाकूओं आतंक चरम पर था और मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह का कार्यकाल चल रहा था तब चतुर्वेदी की रणनीति और संवाद कौशल के कारण चंबल क्षेत्र में शांति स्थापित होने की शुरुआत हुई थी। साल 1982 में आत्मसमर्पण से पहले मलखान सिंह लगभग दो दशकों तक चंबल घाटी का सबसे भयावह नाम माना जाता था। फूलन देवी के आत्मसमर्पण के बाद उन्हें राष्ट्रीय पहचान मिली और वह इस ऐतिहासिक घटनाक्रम के सबसे महत्वपूर्ण सूत्रधार बन गए।
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राजेंद्र चतुर्वेदी ने अपने करियर में भिंड, ग्वालियर और छतरपुर के एसपी के रूप में भी कार्य किया है। बाद में उन्होंने मध्यप्रदेश के जेल महानिदेशक का दायित्व भी संभाला था। वे पुलिसिंग में संवाद और सुधारात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। जीवन के अंतिम समय में वे रांची के एक अस्पताल में भर्ती थे जहां 11 बजे रात उन्होंने अंतिम सांस ली। चतुर्वेदी का निधन मध्यप्रदेश पुलिस और देश के आपराधिक इतिहास में एक युग के अंत के रूप में देखा जा रहा है।