नर्मदापुरम। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले में धान की नरवाई जलाने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी प्रशासन और पर्यावरण दोनों के लिए गंभीर चुनौती बन गई है। जिले में अब तक 4 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। जबकि, 300 से अधिक किसानों पर जुर्माने की कार्रवाई हो चुकी है। इसके बावजूद कई गांवों में रोजाना खेतों में नरवाई जलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। इसकी वजह से जिले की छवि और वायु गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रही है।
प्रशासन की ओर से नरवाई जलाने की रोकथाम के लिए बेलर मशीन और भूसा मशीनों की व्यवस्था की गई है। ताकि खेतों में खड़ी नरवाई को बंडल या भूसे में परिवर्तित कर किसान बिना आग लगाए खेत साफ कर सकें। इसके बावजूद कई स्थानों पर किसान खेतों में आग लगाने से बाज नहीं आ रहे। जिससे प्रशासन की मुहिम कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है।
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इस गंभीर स्थिति पर जब सांसद दर्शन सिंह चौधरी से सवाल किया गया कि नर्मदापुरम में सबसे अधिक पराली जलाने के मामले क्यों सामने आते हैं और एक किसान नेता होने के नाते वे क्या कदम उठा रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि सरकार पूरी व्यवस्था कर रही है और किसान भी जागरूक हैं। उन्होंने कहा कि उचित समाधान निकलेगा और किसानों को समझाइश दी जा रही है। हालांकि, उनके जवाब को लेकर यह सवाल बना हुआ है कि किसान नेता के रूप में वे स्थिति को गंभीरता से ले रहे हैं या नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका बयान जिम्मेदारी को टालने जैसा दिखाई दे रहा है।
दर्शन सिंह चौधरी पहले भारतीय किसान संघ से जुड़े रहे हैं और बाद में बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। किसान नेता की छवि को देखते हुए ही उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट दिया गया था जहां से वे जीतकर संसद पहुंचे थे। ऐसे में नरवाई जलाने जैसे किसान-सम्बंधित मसले पर उनका अस्पष्ट रुख सवाल खड़ा करता है।
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माखननगर क्षेत्र में स्थिति और अधिक गंभीर रही जहां 50 किसानों पर 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। ग्राम आंचलखेड़ा और प्रेमतला में दो किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। तहसीलदार महेंद्र चौहान ने बताया कि सभी मामलों की पहचान सैटेलाइट लोकेशन के आधार पर की गई है जिसके बाद SDM ने रिपोर्ट के मुताबिक कार्रवाई की।
प्रशासन ने सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि जो किसान जुर्माना नहीं भरेंगे उनकी चल-अचल संपत्ति कुर्क की जाएगी। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि जानबूझकर खेतों में आग लगाने पर एफआईआर निश्चित रूप से होगी। जिले में बढ़ते पराली जलाने के मामले पर्यावरण, स्वास्थ्य और प्रशासनिक नियंत्रण मोर्चों पर चिंता खड़ी कर रहे हैं।
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