श्योपुर। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो नेशनल पार्क से भारत के वन्य संरक्षण इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण खुशखबरी सामने आई है। यहां भारत में जन्मी मादा चीता मुखी ने पांच शावकों को जन्म दिया है। यह पहली बार है जब भारतीय भूमि पर पैदा हुई किसी मादा चीता ने अपने ही देश में संतानों को जन्म दिया है। इस उपलब्धि को राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ऐतिहासिक बताते हुए सोशल मीडिया पर साझा किया और कहा कि यह भारतीय चीता रीइंट्रोडक्शन इनिशिएटिव के लिए एक बड़ी बात है।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि करीब तीन वर्षीय चीता मुखी और उसके सभी पांचों शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं। उन्होंने इसे राष्ट्रीय संरक्षण लक्ष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय भूमि पर पैदा हुए चीते का यहां सफल प्रजनन होना इस प्रजाति की अनुकूलन क्षमता, स्वास्थ्य और भविष्य की दीर्घकालिक संभावनाओं को मजबूत करता है। यह कदम देश में जेनेटिक रूप से विविध और आत्मनिर्भर चीता आबादी विकसित करने की दिशा में निर्णायक साबित होगा।
चीता मुखी की कहानी अपने आप में एक प्रेरणा है। लगभग 33 महीने पहले दक्षिण अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क लाई गई मादा चीता ने तीन शावकों को जन्म दिया था जिनमें से दो दुर्भाग्य से जी नहीं सके थे। उस समय बेहद कमजोर और छोटी मुखी को वन विभाग ने निरंतर देखभाल के जरिए बचाया था। आज वही मुखी पांच स्वस्थ शावक देकर चीते के कंजरवेशन की दुनिया में नई उम्मीद जगाने वाली बन गई है।
इस उपलब्धि को विशेषज्ञ भारत में चीता प्रोजेक्ट की अब तक की सबसे बड़ी सफलता मान रहे हैं। कूनो नेशनल पार्क में हाल के वर्षों में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं ताकि चीतों को यहां की जलवायु, वन संरचना और प्राकृतिक परिस्थितियों में सहज और सुरक्षित वातावरण मिल सके। मुखी का यह प्रजनन संकेत देता है कि यह प्रयास सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। कूनो में हुए इस ऐतिहासिक जन्म ने न केवल भारत की संरक्षण नीति में नई ऊर्जा भरी है बल्कि वैश्विक स्तर पर भी यह एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनकर उभरा है।
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