कटनी: ऊंची नीची घटिया परत है, पानी की परेशानी है..... यह लोकगीत एक बुजुर्ग महिला रात रानी की पीड़ा को बयां करता है। मध्यप्रदेश के कटनी जिले की रीठि तहसील का खुसरा गांव जो कि जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर है, पानी की किल्लत से जूझ रहा है, पूरा गांव चट्टानों से रिसते पानी के भरोसे अपना जीवन बसर कर रहा है, पानी की बूंद बूंद के लिए संघर्ष उनकी दिनचर्या का हिस्सा है।



 





 




इस गांव में रहने वाली बुजुर्ग महिला रात रानी ने बताया कि वह 1970 में इस खुसरा गांव में शादी कर आई थी तब से वह इसी महादेव मंदिर के नीचे बने खाई के पहाड़ से रिस रहे एक एक बूंद पानी को एकत्रित कर अपने बर्तनों में भरकर पहाड़ चढ़ कर घर के लिए पानी ले जाती है। गांव वालों का कहना है कि पानी की कमी की वजह से इस गांव के लड़कों की शादी में दिक्कत आती है। गांव के सरपंच ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा इस ग्राम पंचायत में 40 बोर किए गए है, लेकिन पानी किसी में भी नही निकलता है, सत्ता में काबिज सरकार को इसका हल निकालना चाहिए।




यह भी पढ़ें...राज्य सरकार की मूर्खता के कारण पिछड़ा वर्ग आरक्षण 27% से घटकर 14% रह गया : दिग्विजय सिंह



रात रानी को खुसरा गांव में पहाड़ से पानी भरते 52 साल का समय बीत चुका है, अब ये समस्या जीवन का अंग बन चुकी है लेकिन देश 1947 में आजाद हो चुका है, देश में लोकतंत्र है, लोकतंत्र मतलब जनता की सरकार, जनता के द्वारा, जनता के लिए लेकिन जनता तो जीवन बसर के लिए पहाड़ से पानी भर रही है, फिर लोकतंत्र के क्या मायने हैं?

मध्यप्रदेश में 2003 से भाजपा की सरकार है, शिवराज सिंह चौहान 2005 से प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं लेकिन प्रदेश में चलाई जा रही नल जल योजना में अनेक स्थानों पर नल में जल ही नहीं है।

जल संकट केवल कटनी जिले की समस्या नहीं है, ये पूरे मध्यप्रदेश की समस्या है शहरी क्षेत्रों में टैंकर माफिया सक्रिय हैं, अभी कल की ही बात है मुख्यमंत्री ने राजधानी भोपाल के शबरी नगर में पानी भरने के लिए एक लंबी लाइन को देखा है, स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में जल संकट गहराता जा रहा है।

केंद्र सरकार आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने की खुशी में आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है, मुझे लगता हैं अमृत महोत्सव के साथ जल महोत्सव भी मनाया जाना चाहिए।