भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एम्स में साठ साल की बुजुर्ग मरीज की संदिग्ध हालात में मौत हो गई है। अस्पताल प्रबन्धन और स्थानीय पुलिस इसे आत्महत्या बता रहे हैं, लेकिन महिला के परिजनों को उनकी बात पर यकीन नहीं है। उनका आरोप है कि महिला की मौत संदिग्ध हालात में हुई है। फिलहाल एम्स की इंटरनल कमेटी पूरे प्रकरण की जांच कर रही है। होशंगाबाद निवासी त्रिवेणी मीणा को 17 अक्टूबर को भोपाल के एम्स में भर्ती किया गया था।

अस्पताल प्रबंधन और बागसेवनिया पुलिस के मुताबिक़ मंगलवार की देर रात जब अस्पताल का स्टाफ राउंड लगा रहा था, तब महिला को अपने बिस्तर पर न देख उन्हें शक हुआ। इसके बाद उन्होंने बाथरूम और इधर-उधर महिला को काफी तलाशा लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। बाद में उनकी नज़र कमरे की खिड़की पर पड़ी जो खुली हुई थी। शक होने पर उन्होंने जब  खिड़की से नीचे झाँका तो महिला का शरीर ज़मीन पर पड़ा हुआ मिला।

अस्पताल प्रशासन और पुलिस का कहना है कि महिला डिप्रेशन का शिकार थी। देर रात 12 बजे के आसपास उसने दूसरी मंज़िल के उस वार्ड से कूदकर ख़ुदकुशी कर ली, जहां वो भर्ती थी। महिला की मौत उसके सिर पर चोट लगने की वजह से हुई है।

लेकिन परिजनों का आरोप है कि मंगलवार की शाम साढ़े सात बजे उन्हें अस्पताल से फोन आया था कि महिला की तबीयत में सुधार हो रहा है। जल्द ही हम उन्हें डिस्चार्ज कर देंगे। लेकिन रात करीब 10 बजे उसके पास बागसेवनिया थाने से फोन आया और महिला का पता पूछने के तुरंत बाद फोन काट दिया गया। इसके बाद जब उन्होंने अस्पताल में मरीज़ की हालत पता करने की कोशिश की, तो उन्हें बताया गया कि मरीज़ की तबीयत में सुधार आ रहा था इसलिए हमने मरीज़ को तीन बजे कोरोना वार्ड से जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया है।

परिजनों का कहना है कि इसके तुरंत बाद जब उन्होंने मरीज से मिलने की बात कही, तो उन्हें बताया गया कि उन्होंने आत्महत्या कर ली है। परिजनों का आरोप है कि महिला का शव उनके हवाले नहीं किया जा रहा है और न ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जानकारी उन्हें दी जा रही है।

एम्स की सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने इन आरोपों को गलत बताया है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इंटरनल कमेटी इस पूरे प्रकरण की जांच कर रही है। आपको याद दिला दें कि प्रदेश के ही एक अन्य शहर जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस सुपरस्पेशियालिटी अस्पताल में बीते तीन महीने में कोरोना के चार मरीज़ आत्महत्या करने की कोशिश कर चुके हैं। इनमें से अस्पताल प्रबंधन की सूझबूझ की वजह से दो लोगों की जान बचा ली गई लेकिन दो लोगों की मौत हो गई।