प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि एक बार शादी कर लेने के बाद रेप का मामला नहीं बनता। उच्च न्यायालय ने इस मामले में आरोपी वकील को जमानत दे दी है। पीड़िता का आरोप है कि वकील ने महीनों उसका यौन शोषण किया। हालांकि, बाद में दोनों ने पशुपतिनाथ में शादी कर ली। शादी की वजह से ही न्यायालय ने रेप के आरोप को अनुचित बताया है।

पीड़ित महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि वह एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करती थी। महिला ने आरोपी वकील को अपनी कंपनी के साथ जुड़वाया था। वकील ने कंपनी का कुछ शेयर अपने नाम करवाकर डायरेक्टर बन गया। फरवरी 2018 से आरोपी महिला के घर आने लगा और वे दोनों बाहर भी मिलने लगे। अप्रैल 2018 में वे दोनों चंडीगढ़ स्थित ताज होटल में ठहरे थे।

उधर वकील ने डायरेक्टर होने के नाते अपने निजी खर्चों के लिए दावा पेश किया। वकील ने महिला का विश्वास जीतकर उसके साथ शारिरिक संबंध भी बनाना शुरू कर दिया था। महिला से उसने शादी करने की भी बात कही थी। हालांकि, बाद में वह शादी की बात को इग्नोर करने लगा। बाद में दोनों ने मुंबई, नेपाल और दुबई की यात्रा की। नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में वकील ने महिला से शादी कर लिया।

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महिला ने बाद में वकील के खिलाफ शादी करने के पहले रेप का आरोप लगाया। इसी को लेकर उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला का आरोप स्पष्ट नहीं है। कोर्ट ने कहा कि शिकायत से प्रतीत होता है कि दोनों के बीच व्यावसायिक विवाद मुख्य मामला है। न्यायालय ने कहा कि एफआईआर से स्पष्ट है कि आरोपी ने महिला की इच्छा के विरुद्ध जाकर कोई जबर्दस्ती नहीं कि, ऐसे में रेप का मामला नहीं बनता है। 

हाईकोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि महिला आरोपी से पांच साल बड़ी है। कोर्ट ने कहा कि इन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए वकील की अग्रिम जमानत मंजूर की जाती है। अग्रिम जमानत याचिका में आरोपी वकील ने भी तर्क दिया था कि व्यावसायिक विवाद के चलते उसे गलत ढंग से फंसाया गया है।