मुंबई। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के लगाए हर आरोप का एक-एक करके जवाब दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि परमबीर सिंह ने एक पुलिस अधिकारी के तौर पर अपेक्षा के अनुरूप बर्ताव नहीं किया है, जिसके लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। अनिल देशमुख ने अपने ऊपर लगाए गए तमाम आरोपों का सिलसिलेवार ढंग से खंडन करते हुए कहा है कि पूर्व पुलिस कमिश्नर ने झूठे आरोप लगाने के लिए जानबूझकर बनावटी WhatsApp चैट तैयार किया है। शिवसेना ने भी आरोपों पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि जो बीजेपी परमबीर सिंह के निलंबन की मांग कर रही थी, वो अचानक उनकी मुरीद कैसे हो गई है?

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अनिल देशमुख ने परमबीर सिंह और एसीपी पाटिल के बीच 16 और 19 मार्च को हुई WhatsApp चैट का ज़िक्र करते हुए कहा है कि पूर्व कमिश्नर ने अपने तबादले के बाद एक झूठी कहानी रचने के लिए जानबूझकर WhatsApp पर ऐसे सवाल पूछे ताकि वे झूठे आरोप लगा सकें। देशमुख ने कहा कि गृह मंत्री विभाग का मुखिया होने के नाते किसी भी अधिकारी को चर्चा हेतु बुलाने के लिए स्वतंत्र है। लिहाज़ा परमबीर सिंह के ऊपर विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए।

अनिल देशमुख ने कहा कि जब परमबीर सिंह के मुताबिक इतना कुछ ग़लत हो रहा था तब वे अपने तबादले तक चुप क्यों रहे? परमबीर सिंह ने अपने तबादले से पहले कोई आरोप लगाने की जहमत क्यों नहीं उठाई? वे इतने दिन चुप क्यों रहे? वे मुख्यमंत्री को कथित भ्रष्टाचार की जानकारी दे सकते थे, एंटी करप्शन ब्यूरो को भी वे सूचित कर सकते थे। लेकिन परमबीर सिंह ने ऐसा कुछ नहीं किया।

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देशमुख ने कहा कि परमबीर सिंह का दावा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी के नेतृत्व को भी पूरे मामले की जानकारी दी थी। जब ऐसा था तो पूर्व कमिश्नर ने लिखित में कोई शिकायत क्यों नहीं की? देशमुख ने कहा कि बतौर कमिश्नर परमबीर सिंह एफआईआर दर्ज कर सकते थे, इसके लिए किसी प्रकार की अनुमति की ज़रूरत नहीं होती। लेकिन परमबीर सिंह ने ऐसा कुछ नहीं किया। जिससे यह सिद्ध होता है कि पूर्व कमिश्नर ने एक सोची समझी साजिश के तहत आरोप लगाए हैं।

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उधर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में भी परमबीर सिंह और बीजेपी पर निशाना साधा है। सामना में कहा गया है कि जिस परमबीर सिंह के निलंबन की मांग बीजेपी किया करती थी, आज वही परमबीर सिंह बीजेपी के डार्लिंग बन गए हैं। सामना में कहा गया है कि देवेंद्र फडणवीस के दिल्ली में मोदी और शाह से मुलाकात करने के ठीक दो दिन बाद परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी। शिवसेना ने कहा है कि जिस पत्र के आधार पर विपक्ष अनिल देशमुख के इस्तीफे की मांग कर रहा है वह केवल एक साजिश लग रही है। शिवसेना ने यह भी पूछा है कि परबीर सिंह कह रहे हैं कि सचिव वाझे को बार और रेस्टोरेंट से हर महीने करोड़ों रुपये उगाहने का टारगेट दिया गया था, लेकिन बार और रेस्टोरेंट तो कोरोना के कारण लगातार बंद रहे हैं। ऐसे में यह आरोप सही कैसे हो सकता है?   

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रविवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी परमबीर सिंह की चिट्ठी पर सवाल उठाए थे। शरद पवार ने कहा था कि परमबीर सिंह की चिट्ठी में केवल आरोप हैं सबूत के नाम पर कुछ भी नहीं है। पवार ने कहा था कि जिस सचिन वाझे के आधार पर पूर्व कमिश्नर अनिल देशमुख पर आरोप लगा रहे हैं, उस वाझे की नियुक्ति करने वाले खुद परमबीर सिंह ही थे। वहीं कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का कहना है कि परमबीर सिंह आखिर इतने दिनों तक चुप क्यों थे? दिग्विजय सिंह ने कहा है कि परमबीर सिंह के आरोप बीजेपी में शामिल होने और केंद्र सरकार में लाभदायक पद प्राप्त करने की तैयारी ही नज़र आते हैं।