नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर आजकल किसी के भी खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी और अभद्र (वलगर) पोस्ट साझा कर दी जाती हैं। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इस तरह की पोस्ट करने वालों को सजा देने की बात कही है। कोर्ट का मानना है कि माफी मांग लेने से समस्या कम नहीं होगी। ऐसे में सजा दिए जाना जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सोशल मीडिया पर अभद्र और अपमानजनक पोस्ट को लेकर एक याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच ने कहा कि सोशल मीडिया पर सोशल मीडिया पर बिना सोचे समझे किसी के खिलाफ कुछ भी अभद्र या अपमानजनक पोस्ट करने वालों को सजा मिलना जरूरी है। ऐसे लोग माफी मांगकर कार्रवाई से बच नहीं सकते हैं। 

दरअसल तमिल फिल्म अभिनेता और भाजपा के पूर्व विधायक के एस. वी. शेखर ने 2018 में महिला पत्रकारों को लेकर सोशल मीडिया पर अभद्र पोस्ट किया था। इसके बाद महिला पत्रकारों ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करााया था। बाद में शेखर ने माफी मांग कर पोस्ट डिलीट कर दी थी। लेकिन तमिलनाडु में उनके खिलाफ केस दर्ज हो गया था। इसी मामले को निरस्त करने के लिए पूर्व विधायक की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। जिसे कोर्ट ने निरस्त करते हुए सोशल मीडिया पर कुछ अभद्र और अपमानजनक पोस्ट करने वालों को सख्त हिदायत दी है। और शेखर को कानूनी कार्रवाई से गुजरने को कहा। 

शेखऱ के वकील ने कोर्ट दलील दी कि शेखर को गलती का एहसास होने पर उन्होंने पोस्ट डिलीट कर दी थी और माफी भी मांगी थी। पोस्ट करने के दौरान उन्हें धुंधला दिख रहा था, क्योंकि उन्होंने आंखों में दवा डाली हुई थी जिस कारण वह कंटेंट देख नहीं पाए थे। 

इसपर कोर्ट ने कहा कि बिना देखे पोस्ट करना बड़ी लापरवाही भरा काम है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना जरुरी नहीं है लेकिन यदि कोई इस्तेमाल कर रहा है तो इसकी पहुंच और प्रभाव को ध्यान में रखना उसके लिए जरूरी है। उसे उसके परिणाम भुगतने के लिये भी तैयार रहना चाहिये। किसी अभद्र पोस्ट या अपमानित करने वाली टिप्पणी करने के बाद माफी मांग कर बचा नहीं जा सकता इसके लिए सजा दिया जाना जरूरी है।