पटना/नई दिल्ली। दिल्ली सीमा पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को आज 25 दिन पूरे हो चुके हैं। केंद्र सरकार के कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा रहे किसान कंकंपाती ठण्ड में भी लोकतांत्रिक तरीके से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी के नेताओं-मंत्रियों को इनमें कभी खालिस्तानी तो कभी आतंकवादी आते हैं। अब बिहार के कृषि मंत्री और बीजेपी नेता अमरेंद्र प्रताप सिंह को आंदोलनरत किसानों में दलाल नज़र आ रहे हैं। 

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अगर किसान आंदोलित होता तो पूरे देश में आग लगी होती 
बिहार सरकार कृषि मंत्री आंदोलनरत किसानों को दलाल बताने के लिए अजीब तर्क दे रहे हैं। उनका कहना है कि मुट्ठी भर दलाल दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हैं और आंदोलन कर रहे हैं। अमरेंद्र प्रताप सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि, 'देश भर में साढ़े पांच लाख गाँव हैं। अगर सचमुच देश का किसान आंदोलित होता तो पूरे देश में आग लगी होती। ये तो कुछ मुट्ठी भर दलाल हैं जो वहां बैठे हुए हैं और आंदोलन कर रहे हैं।' अमरेंद्र प्रताप सिंह ने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को लेकर कहा है कि देश का किसान इन कानूनों से खुश है। क्योंकि उसे अब अपनी उपज को कहीं भी बेचने की आज़ादी मिल गई है।   

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क्या अपने ही मुख्यमंत्री से असहमत हैं कृषि मंत्री
दरअसल आंदोलनकारी किसानों को दलाल बताने वाले बिहार के मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह से यह ज़रूर पूछा जाना चाहिए कि क्या वे इस मसले पर अपने मुख्यमंत्री से इत्तेफाक नहीं रखते?  क्योंकि उनके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो यह मानते हैं कि दिल्ली सीमा पर आंदोलन कर रहे आंदोलनकारी किसान ही हैं। हालांकि नीतीश कुमार का यह मानना ज़रूर है कि किसान गलतफहमी का शिकार हैं। लेकिन उन्होंने आंदोलनकारियों के किसान होने पर शक जाहिर नहीं किया है। ऐसे में यह सवाल तो उठना लाज़मी है कि क्या एक ही सरकार में होने के बावजूद जेडीयू के मुख्यमंत्री और बीजेपी के मंत्री किसानों के बारे में अलग-अलग राय रखते हैं? क्या दोनों की राय में इस अंतर की वजह उनकी पार्टियों का किसानों के बारे में अलग-अलग रुख है? 

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यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि इस पूरे आंदोलन के दौरान किसानों को लेकर सबसे ज्यादा विवादित बयान राज्य सरकारों के कृषि मंत्रियों की ओर से ही हो रहा है। कर्नाटक सरकार में कृषि मंत्री बीसी पाटिल की नज़र में किसान कायर हैं क्योंकि वे आत्महत्या करते हैं। मध्य प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल की नज़र में किसान संगठन कुकुरमुत्ते हैं। और अब बिहार के कृषि मंत्री की नज़र में किसान दलाल हैं। कृषि मंत्री होने के अलावा तीनों नेताओं में एक कॉमन बात यह है कि तीनों का संबंध एक ही राजनीतिक दल से है जिसका नाम है भारतीय जनता पार्टी!