नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी दबाव में सीजफायर को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान की हमने पाकिस्तान को पहले ही सूचित किया था, चर्चा में है। कांग्रेस इसे लेकर सवाल खड़े कर रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूछा है कि इस ऑपरेशन में भारत के कितने विमान गिरे। वहीं, जयशंकर के बयान को पवन खेड़ा ने मुखबिरी करार दिया है।

कांग्रेस मीडिया और पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र से कई सवाल पूछे हैं। खेड़ा ने कहा, 'युद्ध सिर्फ सीमाओं पर ही नहीं लड़े जाते, बल्कि राजनीति के रणनीतिकारों द्वारा भी लड़े जाते हैं। सेनाएं बहादुरी से सीमाओं पर अपना काम करती हैं, तो युद्ध में बहुत अहम् भूमिका उन रणनीतिकारों की भी होती है जो राजधानी में बैठे होते हैं। इन तमाम लोगों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। जो सेना के पराक्रम को या तो बूस्ट कर सकती है या सेना के पराक्रम को नुकसान पहुंचा सकती है।' 

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पवन खेड़ा ने आगे कहा, 'हमारे नेता राहुल गांधी जी ने विदेश मंत्री के बयान पर कुछ सवाल पूछे हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण इसलिए हो जाता है, क्योंकि पिछले एक हफ्ते में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अलग-अलग देशों में एक बात दोहराते रहे कि उन्होंने युद्ध रुकवाने में मध्यस्थता की। ट्रंप ने एक बहुत खौफनाक बात यह भी बोली कि उन्होंने भारत को व्यापार रोकने की धमकी देकर युद्ध रुकवाया। यानी सिंदूर का सौदा होता रहा, प्रधानमंत्री चुप रहे। विदेश मंत्री के मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा। हमें नहीं मालूम कि अमेरिका और चीन के पास PM मोदी, विदेश मंत्री और BJP के नेताओं के ऐसे कौन से राज हैं, क्योंकि इनका कभी अमेरिका और चीन के आगे मुंह नहीं खुलता।' 

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, 'जब भी मुंह खुलता है तो सीधा clean chit देने के लिए खुलता है। आपके जो रहस्य उनके पास होंगे, हमें उनसे कोई मतलब नहीं, लेकिन उससे देश को नुकसान क्यों पहुंच रहा है?पहलगाम हमले का न्याय क्यों नहीं मिल पाएगा, क्योंकि आप चीन और अमेरिका से डरते हैं। पूरे देश और दुनिया को मालूम है कि इस युद्ध में चीन की क्या भूमिका रही है और अमेरिका ख़ुद इस युद्ध को रोकने में अपनी भूमिका आगे बढ़-चढ़कर बता रहा है, लेकिन जयशंकर जी का मुंह नहीं खुलता।'

खेड़ा ने आगे कहा, 'विदेश मंत्री एस. जयशंकर जी ने ख़ुद मीडिया एजेंसियों को बताया कि हमने हमला करने से पहले पाकिस्तान को सूचित कर दिया था। अब ये सूचित करने का क्या मतलब होता है? विदेश मंत्री जी को पाकिस्तान पर इतना भरोसा है कि उनके कहने पर आतंकी चुपचाप बैठेंगे? ⁠विदेश मंत्री जी का क्या रिश्ता है और उन्होंने हमले से पहले पाकिस्तान को क्यों बताया? दरअसल, इसे कूटनीति नहीं बल्कि मुखबिरी कहा जाता है। विदेश मंत्री ने जो बोला उसे सबने सुना- फिर भी इसपर लीपापोती की जा रही है। क्या इसी मुखबिरी की वजह से मसूद अज़हर ज़िंदा बच गया और हाफिज सईद ज़िंदा भाग गया?'

उन्होंने आगे कहा, 'BJP देशहित के मुद्दों पर ओछी राजनीति कर रही है। उसके बाद भी सोचती है कि विपक्ष चुप रहेगा और देश की सुरक्षा से जुड़े सवाल नहीं पूछेगा। हम सवाल पूछते रहेंगे और नहीं पूछेंगे तो देश में आतंकी घटनाएं होती रहेंगी। इतिहास में दर्ज है कि जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने जनरल ज़िया उल-हक को फोन कर कहा कि हमें R&AW वालों ने बताया है कि काहुटा में न्यूक्लियर प्रोजेक्ट को लेकर पाकिस्तान की क्या तैयारी चल रही है? उन्होंने सारी डिटेल पाकिस्तान को बता दीं। इस घटना के कुछ दिन बाद ही हमने R&AW के कई लोगों को गंवा दिया और उनकी दशकों की मेहनत बर्बाद हो गई। आपको बता दें कि ये जानकारी पाकिस्तान को देने वाले मोरारजी को ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से नवाजा गया। मोरारजी देसाई के इस पाप की कीमत आज भी देश अदा कर रहा है। इसी तरह एस. जयशंकर ने जो किया, वह पाप की श्रेणी में आता है। हमारे सैनिकों ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था, लेकिन अचानक से डोनाल्ड ट्रंप आए और उन्होंने सीजफायर करा दिया। हमें सिंदूर से समझौता मंजूर नहीं है। देश से गद्दारी मंजूर नहीं है- चाहे वो कोई भी, किसी भी पद पर हो- हम सवाल पूछेंगे।'