नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर के वातावरण में बढ़ रहे वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है। अध्यादेश पर राष्ट्रपति ने दस्तखत भी कर दिए हैं। इसके तहत दिल्ली और उससे सटे राज्यों में जहां कहीं भी प्रदूषण का ऐसा स्रोत पाया जाएगा जो सीधे तौर पर दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार है, तो प्रदूषण फैलाने वाले को पांच साल की जेल या एक करोड़ रुपये जुर्माना या फिर दोनों ही दंड दिए जाएंगे। यह अध्यादेश मुख्य तौर पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब पर लागू होगा। 

केंद्र सरकार ने बताया कि इस अध्यादेश के तहत वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का गठन किया जाएगा। इस आयोग में 20 सदस्य होंगे, जो अध्यादेश का पालन सुनिश्चित करेंगे। आयोग की अध्यक्षता भारत सरकार में सचिव के पद पर रह चुके या मौजूदा अधिकारी करेंगे। पर्यावरण मंत्रालय से भी सचिव स्तर के अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा। आयोग में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अधिकारी भी शामिल होंगे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ संयुक्त सचिव स्तर के दो अधिकारी आयोग के स्थाई सदस्य होंगे। आयोग में परिवहन, ऊर्जा, शहरी, पेट्रोलियम, कृषि, वाणिज्य इत्यादि मंत्रालयों से भी सदस्यों को नियुक्त किया जा सकता है। 

इस आयोग में तीन उपसमितियां होंगी। जिनका काम निगरानी एवं पहचान, सुरक्षा और पालन के साथ-साथ शोध एवं विकास का होगा। आयोग के पास एयर और पर्यावरण एक्ट के तहत फैसले लेने की शक्ति होगी। इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अध्यादेश लेकर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस अध्यादेश की प्रति मांगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह प्रति याचिकाकर्ता को भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को कल तक के लिए टाल दिया है। याचिका में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से दिल्ली में वायु प्रदूषण फैलने का जिक्र है। हालांकि, विशेषज्ञ दिल्ली एनसीआर में चलने वाले हेवी जेनरेटरों, वाहनों और औद्योगिक गतिविधियों को भी वायु प्रदूषण का कारण मानते हैं।