कोलकाता। कोरोना संकट के बीच केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच शह और मात का खेल जारी है। राज्य के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को मिले दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने के फरमान को बेअसर करते हुए ममता ने उन्हें अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर लिया है। ममता के इस दांव को केंद्र के नहले पर दहला के रूप में देखा जा रहा है। 

दरअसल, अलपन बंदोपाध्याय का कार्यकाल सोमवार को खत्म हो रहा था। उनकी सेवाओं को 3 महीने का विस्तार दिया गया था। लेकिन अब उन्होंने केंद्र के आदेश को ठुकराकर अपने पद और नौकरशाही से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के साथ ही वह टीम ममता के साथ जुड़ गए हैं। सीएम ममता बनर्जी ने इस बात का ऐलान करते हुए कहा, 'मैं अलपन बंदोपाध्याय को नबन्ना छोड़ने नहीं दूंगी। वह दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने नहीं जा रहे हैं। वह अब मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार हैं।

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सीएम ममता बनर्जी ने बताया कि अलपन 1 जून यानि कि मंगलवार से ही मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार का कार्यभार संभालेंगे। टीएमसी नेता ने कहा, 'कोरोना महामारी के कारण अलपन की हमें जरूरत है। कोविड और यास तूफान के कहर को देखते हुए उनकी गरीबों की सेवा जारी रखने की आवश्यकता है। बंगाली कैडर के कई अफसर केंद्र सरकार में हैं। क्या मैं उन्हें बिना सलाह-मशविरे के बुला सकती हूं? अपनी पूरी जिंदगी काम के प्रति समर्पित करने वाले अधिकारी का अपमान कर प्रधानमंत्री क्या संदेश देना चाहते हैं।'

इतना ही नहीं ममता ने कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह तानाशाह हिटलर और स्टालिन की तरह व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम मोदी नौकरशाहों के साथ बंधुआ मजदूरों की तरह सलूक करते हैं। ममता ने कहा, 'मोदी नौकरशाही को डराना चाहते हैं, लेकिन हम डरते नहीं हैं। हम उनसे नहीं डरते हैं। जो डरते हैं वो टूट जाते हैं। लेकिन हम लड़ेंगे और जीतेंगे।' सीएम ममता ने सभी राज्य सरकारों, विपक्षी नेताओं, आईएएस-आईपीएस अफसरों और एनजीओ से अपील की हैं कि इस तानाशाही के खिलाफ वे एकजुट होकर संघर्ष करें।

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ममता के मुख्य सलाहकार नियुक्त किए जाने के बीच बंदोपाध्याय को केंद्र ने रिमाइंडर भेजा है। केंद्र ने बंदोपाध्याय को मंगलवार को सुबह 10 बजे तक दिल्ली रिपोर्ट करने को कहा है। ऐसे में अब माना जा रहा है कि यह मामला अभी ठंडा नहीं हुआ है। सूत्रों के मुताबिक ऐसा नहीं करने पर केंद्र सरकार उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है। बंदोपाध्याय को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है और यह सफाई मांगी जा सकती है कि वह दिल्ली में केंद्र की सेवा में क्यों शामिल नहीं हुए।