नई दिल्ली। कोरोना महामारी में अपनी जान पर खेलकर सबसे आगे डटे रहने और मरीजों की सेवा करने वाले कोरोना वॉरियर्स को वेतन के लाले पड़े हुए हैं। पिछले चार महीनों से दिल्ली के कई अस्पतालों में काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन नहीं मिला है। इसी से मजबूर होकर आज दिल्ली के एनडीएमसी मेडिकल कॉलेज और बाड़ा हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टर एक दिन के सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं। 

रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा है कि अगर आज के अवकाश के बाद भी उनकी बात नहीं मानी गई तो वे 22 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हो जाएंगे। एसोसिएशन ने कहा, 'डॉक्टरों ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि बीते कई महीनों से उनका वेतन और पिछला एरियर नहीं मिला है। ऐसे में जब तक डॉक्टरों और डीएनबी ट्रेनियों की सैलरी और एरियर नहीं मिलता उनकी हड़ताल खत्म नहीं होगी।' 

बाड़ा हिंदूराव अस्पताल और एनडीएमसी मेडिकल कॉलेज बीजेपी के कब्जे वाले उतरी दिल्ली नगर निगम के मातहत आता है। स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन की जिम्मेदारी निगम की होती है। यह पहली बार नहीं है जब इन अस्पतालों के कर्मियों को वेतन के लिए हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा हो। देशभर में कोरोना जब चरम पर था और हर दिन डॉक्टर अपनी जान की बाजी लगाकर शहीद हो रहे थे तब भी दिल्ली में इन्हें वेतन नहीं मिल रहा था।

इन्हीं स्वास्थ्यकर्मियों को बीते साल अक्टूबर के महीने में भी हड़ताल करनी पड़ी थी, तब जाकर उन्हें पिछला वेतन मिल पाया था। इस वक्त भी एक बार फिर से कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा है और ऐसे माहौल में डॉक्टरों को अपने वेतन के लिए हड़ताल करनी पड़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि वे सिर्फ अपना वेतन चाहते हैं, जो उनका मूल अधिकार है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्हें परिवार चलाने में मुश्किल हो रही है।' दूसरों की देखभाल के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन तक न मिल पाना वाकई शर्मनाक है।