नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi HC) ने दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के 12 कॉलेजों के शिक्षकों और स्टाफ की सैलरी को छात्रों के फंड से देने के दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट के जस्टिस नवीन चावला ने कहा कि छात्रों का फंड उनके कल्याण के अलावा किसी और उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। वेतन देने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है।

इस संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की तरफ से याचिका डाली गई थी। दिल्ली विश्वविद्यालय के जिन 12 कॉलेजों को यह आदेश मिला था, उनकी पूरी फंडिंग दिल्ली सरकार करती है। इन कॉलेजों के करीब 1,500 शिक्षकों और स्टाफ को पिछले तीन महीने से सैलरी नहीं मिली है। 

इस याचिका को लेकर हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के उच्च शिक्षा निदेशालय और दिल्ली सरकार से जवाब भी मांगा है। फिलहाल यह मामला जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच के पास ट्रांसफर कर दिया गया है, जिनके पास इसी तरह के मामलों की सुनवाई चल रही है। इन 12 कॉलेजों में आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज, भाष्कराचार्य कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंस, भगिनी निवेदिता कॉलेज, दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, अदिति महाविद्यालय इत्यादि शामिल हैं। 

छात्र संघ की पैरवी करते हुए अधिवक्ता जीवेश तिवारी ने कहा कि फंड पूरी तरह से छात्रों द्वारा इकट्ठा किया जाता है और कुछ भी सरकार की तरफ से नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में दिल्ली सरकार का यह आदेश पूरी तरह से मनमानी भरा है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। तिवारी ने कहा कहा कि यह आदेश यूजीसी के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करता है और अगर ऐसा होता है तो यह प्रत्येक छात्र के अधिकारों पर हमला होगा। 

दूसरी तरफ दिल्ली सरकार ने 16 अक्टूबर को उच्च शिक्षा निदेशालय को आदेश दिया था कि छात्रों के फंड से शिक्षकों और स्टाफ की सैलरी दी जाए। इसके बाद एक ऑडिट किया जाएगा। स्टूडेंट फंड के उपयोग के बाद भी अगर किसी की सैलरी बकाया रह जाती है तो उसका भुगतान दिल्ली सरकार करेगी।