नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली इन दिनों घने प्रदूषण की चादर में डूबी हुई है। यहां कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार पहुंच चुका है। बढ़ते वायु प्रदूषण ने लोगों की सेहत पर गंभीर असर डालना शुरू कर दिया है। सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी में सांस, गले और आंखों से जुड़ी समस्याओं वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि हर उम्र के लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं लेकिन बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और पुराने रोगियों पर इसका असर और ज्यादा हो रहा है।
दिल्ली के पीजीआईएमआर के प्रोफेसर डॉक्टर पुलिन गुप्ता ने बताया कि वायु प्रदूषण के कारण सांस से जुड़ी बीमारियों वाले मरीजों की संख्या ओपीडी में 22 से 25 प्रतिशत तक बढ़ गई है। अस्पतालों में गले में जलन, राइनाइटिस, नाक बहने, छाती में जकड़न और अस्थमा के एक्यूट अटैक से जूझ रहे मरीज लगातार पहुंच रहे हैं। कई लोग ब्रोंकाइटिस की गंभीर अवस्था में आ रहे हैं। वहीं, ईएनटी विभाग में साइनोसाइटिस, बहती नाक और नाक से खून आने जैसे मामले भी बढ़ गए हैं। डॉक्टरों के अनुसार स्किन विभाग में भी डर्मेटाइटिस के मरीजों की संख्या बढ़ी है जो हवा में मौजूद प्रदूषक कणों के संपर्क में आने से हुई है।
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दूसरी ओर आंखों की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। दिल्ली के आरएमएल, एम्स, संजय गांधी मेमोरियल और बीआर अंबेडकर अस्पतालों में आंखों की परेशानी लेकर आ रहे मरीजों की संख्या 60 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। एम्स के आरपी सेंटर फॉर नेत्र रोगों के प्रोफेसर डॉक्टर राजेश सिन्हा ने बताया कि दिवाली के बाद आंखों में एलर्जी, सूखापन, जलन और पानी आने जैसे मामलों में विस्फोटक वृद्धि दर्ज की गई है। पहले जहां रोजाना 30–40 मरीज आते थे अब उनकी संख्या 100 तक पहुंच गई है।
मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित रतन ज्योति नेत्रालय के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर पुरेंद्र भसीन का कहना है कि हवा में मौजूद पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कण आंखों के कॉर्निया में सूजन, खुजली जासी समस्याएं पैदा करते हैं। लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से ड्राई आई सिंड्रोम और एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। बच्चों और बुजुर्गों में ये समस्याएं और भी गंभीर रूप ले लेती है क्योंकि उनकी आंखें ज्यादा संवेदनशील होती हैं।
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डॉक्टर पुलिन गुप्ता ने प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों और जिन लोगों को अनकंट्रोल डायबिटीज, अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी पुरानी बीमारियां हैं उन्हें इस मौसम में बाहर निकलने से जितना हो सके बचना चाहिए। सुबह जॉगिंग करने वालों को बाहर जाने की बजाय घर में ही ट्रेडमिल पर एक्सरसाइज करने की सलाह दी गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि सूर्योदय के समय प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है।
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि दोपहिया और तिपहिया चालक, पैदल यात्री और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने वालों को ट्रिपल लेयर मास्क या एन-95 मास्क का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। सूर्य की किरणों और धूल से बचने के लिए सनग्लास पहनना, घर लौटने पर आंखें धोना, पर्याप्त पानी पीना, लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप का उपयोग करना और जरूरत पड़ने पर एयर प्यूरीफायर चलाना आवश्यक है। ताकि आंखों और सांस की नलियों पर प्रदूषण का असर कम हो। दिल्ली का लगातार गिरता एयर क्वालिटी लेवल स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंतित कर रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर प्रदूषण इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले दिनों में अस्पतालों पर दबाव और ज्यादा बढ़ जाएगा और शहर में गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा हो सकता है।
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