पत्नी की जासूसी के लिए बेडरूम में लगाए कैमरे, कोर्ट ने पति को मासिक भरण-पोषण देने का आदेश दिया
इंदौर फैमिली कोर्ट के मामले में पत्नी ने पति पर प्रताड़ना, शक, निगरानी, गर्भावस्था में मारपीट, गर्भपात और फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए आय छिपाने के आरोप लगाए। अदालत ने पति का झूठ पकड़ा और आदेश दिया कि वह पत्नी को 4 लाख बकाया राशि और हर महीने 20 हजार रुपए भरण-पोषण दे।
इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर फैमिली कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में न केवल पति का कथित झूठ उजागर किया बल्कि पत्नी को दो वर्षों से छोड़े रखने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए 20 हजार रुपये मासिक भरण–पोषण और 4 लाख रुपये की बकाया राशि अदा करने का आदेश दिया। मामला एक ऐसे दंपती से जुड़ा है जिनकी शादी साल 2022 में हुई थी और कुछ ही महीनों में संबंध इतने बिगड़े कि मामला प्रताड़ना, निगरानी, फर्जी दस्तावेज और झूठे आरोपों तक जा पहुंचा।
शुरुआत में पति ने स्वयं को चिली में पिछले दस वर्षों से कारोबार करने वाला बताया था। युवती ने बताया कि शादी के समय उसे भरोसा दिया गया था कि वह भी विदेश जाएगी लेकिन यह वादा पूरा नहीं किया गया। घरेलू विवाद बढ़ने पर पति ने न सिर्फ पत्नी को घर से बाहर कर दिया बल्कि बेटी को भी अपने पास रख लिया। पत्नी ने मजबूरी में फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
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सुनवाई में पति ने अचानक दावा किया कि उसने विदेश का व्यापार बंद कर दिया है और वर्तमान में उल्लासनगर में एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में 20 हजार रुपये महीने की नौकरी कर रहा है। लेकिन जांच में पता चला कि उसने जो प्रमाणपत्र कोर्ट में पेश किया था वह किसी वास्तविक ट्रांसपोर्ट कंपनी का नहीं बल्कि एक फर्जी था।
पति द्वारा जमा किए गए शपथपत्र में ही उसकी आय का संकेत छिपा था। उसने बताया कि बेटी की देखरेख के लिए नौकरानी का वेतन 8 हजार रुपये और अपने तथा माता-पिता के खर्च के लिए 20 हजार रुपये उसे चाहिए होते हैं। यानी कुल 28 हजार रुपये का मासिक खर्च उसे होता है। कोर्ट ने माना कि जो व्यक्ति इतना खर्च उठा रहा है उसकी आय कम से कम तीन गुना यानी 90 हजार से एक लाख रुपये तक अवश्य होगी। इसी आधार पर उसका नौकरी का दावा संदिग्ध मान लिया गया था।
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पत्नी ने कोर्ट को बताया कि पति विदेश यात्राओं पर उसे साथ नहीं ले जाता था। जिसकी वजह से उसे शक हुआ कि वहां उसकी किसी अन्य महिला से नजदीकियां हैं। विरोध करने पर पति ने उल्टा उस पर ही संदेह जताते हुए पूरे घर में सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए। महिला ने अपने पति पर निजी स्वतंत्रता और सम्मान का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है।
महिला ने यह भी दावा किया कि पहली गर्भावस्था के दौरान उसे चिली ले जाने का झांसा दिया गया था। वीजा के लिए फर्जी कागजात भी बनवाए गए थे। लेकिन विदेश न ले जाकर विवाद खड़ा कर दिया गया। विरोध करने पर पति और ससुराल पक्ष द्वारा मारपीट की बात कही गई जिसके दौरान पेट पर चोट लगने से उसका गर्भपात हो गया था। महिला की शिकायत के बावजूद तत्काल कार्रवाई नहीं की गई।
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पत्नी जब मायके चली गई तो पति ने जूनी इंदौर थाने में रिपोर्ट लिखाई कि वह उसके भाई का मोबाइल फोन चुरा ले गई है। जबकि महिला ने कहा कि यह मोबाइल पति ने उसे स्वयं गिफ्ट दिया था। पुलिस ने बिना उचित जांच किए केस दर्ज कर लिया और महिला को गिरफ्तार कर लिया जिसके बाद कोर्ट से उसे जमानत मिल सकी।
पति ने अदालत में कहा कि पत्नी आर्थिक रूप से सक्षम है और स्कूल में पढ़ाने के साथ-साथ कोचिंग क्लास, किराए पर दिए फ्लैट और ब्यूटी पार्लर से अच्छी कमाई कर लेती है। हालांकि, सुनवाई के दौरान पति इन आय स्रोतों का कोई ठोस प्रमाण नहीं दे पाया। उसने यह भी कहा कि पत्नी को घर से नहीं निकाला गया बल्कि वह स्वयं झगड़ा करके चली गई थी। लेकिन यह बात उसके अन्य बयानों से मेल नहीं खाई।
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फैमिली कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के चर्चित फैसले रजनीश बनाम नेहा (2020) का हवाला देते हुए दोनों पक्षों से वास्तविक आय और खर्च का शपथपत्र मांगा था। इस आदेश के अनुसार गलत जानकारी देने पर सात साल की सजा तक का प्रावधान है। इसी प्रक्रिया के दौरान पति के झूठे दावों की सच्चाई सामने आ गई। कोर्ट ने आदेश दिया कि पत्नी को छोड़े जाने की तारीख से पूरे दो वर्षों की बकाया राशि कुल 4 लाख रुपये पति एकमुश्त अदा करे। इसके साथ ही हर महीने 20 हजार रुपये भरण–पोषण के रूप में देने होंगे। बेटी पति के पास ही रहेगी इसलिए उसके खर्च का दायित्व भी उसी पर रहेगा।




