नई दिल्ली। अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश में पायलट की गलती को लेकर उठ रही चर्चाओं को सुप्रीम कोर्ट ने अफसोसजनक बताया है। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) से जवाब मांगा है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस मामले में स्वतंत्र जांच करवाने की संभावना पर भी ध्यान दिया है। एविएशन सुरक्षा NGO सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन ने इस संबंध में जनहित याचिका दायर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि प्रारंभिक रिपोर्ट में जरूरी जानकारी छुपाई गई है और यह नागरिकों के जीवन, समानता और सही जानकारी पाने के अधिकार का उल्लंघन करती है। 

याचिका में कहा गया है कि ईंधन स्विच की खराबी और इलेक्ट्रिकल फॉल्ट जैसी तकनीकी समस्याओं को नजरअंदाज किया गया और दुर्घटना का दोष केवल पायलट पर डाल दिया गया। NGO की तरफ से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि दुर्घटना को हुए 100 दिन से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अब तक केवल प्रारंभिक रिपोर्ट ही जारी हुई है। 

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट यह नहीं बताती कि असल में क्या हुआ और भविष्य में क्या सावधानी बरतनी चाहिए। इसका मतलब है कि आज भी इन बोइंग विमानों में यात्रा करने वाले सभी लोग खतरे में हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि निष्पक्ष जांच की मांग सही है, लेकिन सभी निष्कर्ष सार्वजनिक करने से जांच प्रभावित हो सकती है।

बता दें कि अहमदाबाद से लंदन जा रहा एअर इंडिया का बोइंग 787-8 विमान 12 जून को टेकऑफ के कुछ ही देर बाद एक मेडिकल हॉस्टल की इमारत से टकरा गया था। इसमें 270 लोगों की मौत हो गई थी। सुमीत सभरवाल फ्लाइट के मुख्य पायलट और क्लाइव कुंदर को-पायलट थे।