नई दिल्ली। भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कथित तौर पर दखल देने से जुड़े विवाद में घिरे फेसबुक ने कांग्रेस पार्टी से कहा है कि उसने भेदभाव के आरोपों को गंभीरता लिया है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वह निष्पक्ष बना रहे और उच्चतम स्तर की ईमानदारी को बनाए रखने को वह प्रतिबद्ध है। सोशल मीडिया जायंट ने यह भी कहा कि वह एक निष्पक्ष मंच है और सभी तरह की घृणा एवं कट्टरता को खारिज करता है तथा वह एक ऐसे मंच के तौर बने रहने का प्रयास करता है जहां लोग खुलकर अपनी भावनाएं प्रकट कर सकें।

दरअसल, कांग्रेस ने अपनी ओर से उठाई गई चिंताओं के जवाब में आए फेसबुक के पत्र को जारी किया है। फेसबुक के जवाबी पत्र पर एक सितंबर की तारीख है। यह पत्र फेसबुक के निदेशक (पब्लिक पॉलिसी, ट्रस्ट एंड सेफ्टी) नील पॉट्स ने लिखा है। 

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इससे पहले कांग्रेस ने फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि इस सोशल मीडिया कंपनी की भारतीय शाखा भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सामाजिक तानेबाने में दखल दे रही है तथा नफरत भरे भाषण के नियमों के संदर्भ में सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्यों के प्रति इसका नरम रुख है। पार्टी ने अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ और पत्रिका ‘टाइम’ की खबरों का हवाला देते हुए जुकरबर्ग को पत्र लिखा था। इन दोनों प्रकाशनों ने अपनी खबरों में फेसबुक पर पक्षपात और भाजपा के साथ निकटता का दावा किया था।

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कांग्रेस ने अपने पत्र में फेसबुक की इंडिया पॉलिसी हेड अंखी दास का जिक्र किया था। पार्टी ने वॉल स्ट्रीय जर्नल की रिपोर्ट का हवाला देकर कहा था कि अंखी दास की भाजपा से सांठगांठ है और उन्होंने कई बीजेपी नेताओं की घृणा फैलाने और हिंसा उकसाने वाली पोस्ट पर कार्रवाई नहीं होने दी, जबकि फेसबुक की आंतरिक टीम ने ऐसा करने के लिए कहा था। 

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ध्यान देने वाली बात यह है कि फेसबुक ने कांग्रेस पार्टी को दिए गए अपने जवाब में ना तो अंखी दास के ऊपर लगे आरोपों का जिक्र किया है और ना ही पार्टी की उस मांग पर कोई प्रतिक्रिया दी है, जिसमें इस पूरे प्रकरण को लेकर फेसबुक से एक उच्चस्तरीय जांच समिति मांग की गई थी। कांग्रेस फेसबुक के मुद्दे को पिछले कुछ हफ्तों से लगातार उठा रही है और भाजपा पर हमले बोल रही है।

उधर, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी जुकरबर्ग को तीन पृष्ठों का पत्र लिखकर कहा कि फेसबुक के कर्मचारी चुनावों में लगातार हार का सामना करने वाले लोगों तथा प्रधानमंत्री और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों को कथित ‘‘अपशब्द’’ कहने वालों का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि फेसबुक इंडिया टीम में बैठे लोग पक्षपात के मामलों की शिकायत के बावजूद कोई जवाब नहीं देते।