लंदन। कृषि कानूनों के खिलाफ भारत में चल रहे आंदोलन की गूंज एक बार फिर से ब्रिटेन की संसद में सुनाई पड़ी है। इस बार ब्रिटिश संसद में इस मुद्दे पर बाकायदा चर्चा की गई। इस चर्चा को लेकर भारत सरकार ने एतराज जताया है। लंदन में भारतीय उच्चायोग ने ब्रिटिश संसद में हुई चर्चा की कड़ी आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि चर्चा के दौरान एकतरफा तथ्य रखे गए।

दरअसल, ब्रिटिश संसद की वेबसाइट पर किसान आंदोलन को लेकर एक याचिका डाली गई थी, जिस पर एक लाख से अधिक लोगों ने दस्तखत किया था। इसके बाद ब्रिटिश संसद को इस मुद्दे पर कल विस्तृत बहस की गई। ब्रिटिश सांसदों की इस चर्चा में कई सांसदों ने हिस्सा लिया, कुछ लोग मीटिंग स्थल पर थे जबकि कुछ वर्चुअल तरीके से जुड़े थे। यह चर्चा करीब डेढ़ घंटे तक चली, जिसमें कई ब्रिटिश सांसदों ने आंदोलनकारियों के साथ भारत सरकार के बर्ताव की आलोचना की।

चर्चा के दौरान ब्रिटिश सरकार में मंत्री नाइजर एडम्स ने कहा कि भारत-ब्रिटेन की दोस्ती काफी पुरानी है। दोनों ही देश आपसी सहयोग से द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। एडम्स ने उम्मीद जताई  है कि जल्द ही भारत सरकार और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच बातचीत के जरिए कोई सकारात्मक परिणाम निकलेगा।

ब्रिटिश संसद में भारतीय किसानों की मांगों को लेकर हुई चर्चा पर भारत सरकार की ओर से बयान सामने आया है। भारतीय उच्चायुक्त ने इसे एकतरफा और गलत तथ्यों पर आधारित करार दिया है। हाईकमीशन ने बयान जारी कर कहा, 'ब्रिटिश संसद में सही तथ्यों की जानकारी के बिना और गलत आरोपों के साथ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के विषय में चर्चा की गई, जो निंदनीय है।

भारत में 100 से ज्यादा दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे किसानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी समर्थन मिलता रहा है। कई देशों के राजनेताओं और दूसरे क्षेत्रों से जुड़े नामचीन लोगों ने भारत में किसानों का समर्थन करते हुए सरकार के रवैये की आलोचना की है। जबकि भारत सरकार अंतराष्ट्रीय हस्तियों और अन्य देशों द्वारा किसानों के समर्थन को देश के आंतरिक मामले में बाहरी दखल बताकर उसका विरोध करती आ रही है।