बिहार विधानसभा की 78 सीटों पर आज मतदान है। बिहार की जनता के लिए आज अपनी सरकार चुनने का आखिरी दिन है। उसे ही फैसला करना है कि बेरोज़गारी, विकास और लॉक डाउन जैसे मुद्दों पर वह किसके साथ है और किसके ख़िलाफ़। दो दौर के मतदान बिहार में पहले ही हो चुके हैं। आज अंतिम दौर के मतदान के साथ ही बिहार की जनता का फ़ैसला EVM में बंद हो जाएगा।

विधानसभा अध्यक्ष, 11 मंत्रियों की किस्मत का फैसला आज

15 जिलों की 78 सीटों के लिए तीसरे चरण में 2 करोड़ 35 लाख 54 हजार 71 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। आज के मतदान में जिन दिग्गजों की किस्मत का फैसला मतदाताओं को करना है, उनमें विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी के अलावा बिहार सरकार के 11 मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव, महेश्वर हजारी, विनोद नारायण झा, खुर्शीद अहमद, प्रमोद कुमार, लक्ष्मेश्वर राय, बीमा भारती, कृष्ण कुमार ऋषि, नरेन्द्र नारायण यादव, रमेश ऋषिदेव, सुरेश शर्मा शामिल हैं। इन्हें मिलाकर आज कुल 1204 उम्मीदवार चुनाव मैदान में  हैं।

तेजस्वी, महागठबंधन ने बेरोज़गारी को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया

महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव में बेरोज़गारी और नीतीश राज में बिहार की बदहाली को सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। कांग्रेस, लेफ्ट समेत महागठबंधन के बाकी दल भी इन्हीं मुद्दों पर सबसे ज़्यादा ज़ोर दे रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी की सभाओं में जिस तरह भीड़ उमड़ी और नीतीश कुमार और उनके उम्मीदवारों, मंत्रियों को जिस तरह कई जगहों पर जनता के विरोध का सामना करना पड़ा उससे बिहार के मूड का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। अगर यही मूड मतदान के दौरान भी बना रहा, तो इस बार भी बिहार 2020 की तरह चौंकाने वाला फैसला सुना सकता है।

नीतीश बता चुके हैं अपना आखिरी चुनाव

इससे पहले गुरुवार को चुनाव प्रचार  के आखिरी दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस चुनाव को अपनी जिंदगी का अंतिम चुनाव बता दिया। उन्होंने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि यह मेरा अंतिम चुनाव है, अंत भला तो सब भला। उनकी इस घोषणा पर राष्ट्रीय जनता दल के  नेता तेजस्वी यादव ने उन्हें जमकर घेरा। 

आरजेडी और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने नीतीश पर हमला करते हुए कहा, 'आदरणीय नीतीश जी बिहारवासियों की आकांक्षाओं, अपेक्षाओं के साथ-साथ जमीनी हकीकत भी स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। हम शुरू से कहते आ रहे है कि वो पूर्णत: थक चुके हैं और आज आखिरकार उन्होंने अंतिम चरण से पहले हार मानकर राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर हमारी बात पर मुहर लगा दी।'

एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी नीतीश के इस एलान पर तीखा तंज किया। चिराग ने कहा, 'साहब ने कहा है कि यह उनका आखिरी चुनाव है। इस बार पिछले 5 साल का हिसाब दिया नहीं और अभी से बता दिया कि अगली बार हिसाब देने आएंगे नहीं। अपना अधिकार उनको ना दें जो कल आपका आशीर्वाद फिर मांगने ही नहीं आएंगे। अगले चुनाव में ना साहब रहेंगे ना जेडीयू। फिर हिसाब किससे लेंगे हम लोग?'

अंतिम चरण की सबसे ज़्यादा सीटें जेडीयू के पास
अंतिम चरण में जिन 78 सीटों के लिए मतदान होना है वहां अभी ज्यादातर सीटों पर जेडीयू का कब्जा है। 2015 में महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने वाली जडीयू को यहां 23 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं आरजेडी के 20, कांग्रेस के 11 और बीजेपी के 20 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई थी। इन ज्यादातर सीटों पर अति पिछड़ों, मुसलमानों और यादवों की संख्या अधिक है। ऐसे में आरजेडी का साथ छोड़ बीजेपी से गठबंधन करने वाली जेडीयू के लिए यहां अपना पिछली बार का प्रदर्शन दोहराना आसान नहीं होगा।