लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए कैबिनेट को उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काफी अहम माना जा रहा है। कारण है कि विभिन्न समुदाय के नेताओं को लॉलीपॉप थमाया गया है। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी की सोशल इंजीनियरिंग अब फेल होती दिख रही है। दरअसल, मंत्रिमंडल विस्तार के बाद एनडीए में फूट उभरकर सामने आई है। बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी ने कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

निषाद पार्टी (निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने अपने बेटे व सांसद प्रवीण निषाद को कैबिनेट में जगह न दिए जाने को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि, 'जब अपना दल की अनुप्रिया पटेल को कैबिनेट में जगह मिल सकता है तो निषाद पार्टी के प्रवीण निषाद क्यों नहीं। बीजेपी ने निषाद समाज के साथ धोखा किया है। कैबिनेट में 4 फीसदी वोट वालों को तरजीह दी गई लेकिन 18 फीसदी वाले निषाद समाज को प्रतिनिधित्व नहीं मिला।'

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इतना ही नहीं संजय निषाद ने बीजेपी को खुली चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा, 'निषाद समुदाय के लोग पहले ही बीजेपी से खफा हैं। यदि बीजेपी अपनी गलतियां नहीं सुधरती है तो आने वाले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। जो लोग अपनी जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं बनवा सकते उन्हें मंत्री बनाया गया लेकिन निषाद समाज ने बीजेपी को एकमुश्त वोट देकर राज्य और केंद्र में सरकार बनाई, बावजूद प्रवीण को कैबिनेट से बाहर रखा गया।

उत्तरप्रदेश की राजनीति में निषाद वोट जीत के लिए अहम माना जाता है। बगैर निषाद वोट को साथ लिए सत्ता की चाभी मिलना लगभग यहां नामुमकिन माना जाता है। उधर विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य के सबसे ज्यादा लोगों को कैबिनेट में जगह तो दिया गया लेकिन निषाद पार्टी अब खफा हो गई। खास बात यह है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी हाल ही में निषादों से मिलने पहुंची थी, जिसके बाद अब बीजेपी से निषाद वोटरों का मोहभंग तय माना जा रहा है।