एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि भारत चीन के युद्ध की समाप्ति के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, रक्षा मंत्री यशवंत राव चव्हाण के साथ सीमा पर सैनिकों का मनोबल बढ़ाने गए थे। पवार ने कहा कि जब भी विपरीत परिस्थितियों में देश घिरता है, तब तब देश के नेताओं को सैनिकों का मनोबल बढ़ाने का काम करना चाहिए।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लद्दाख यात्रा के बाद एनसीपी के मुखिया व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने नेहरू का ज़िक्र करते हुए कहा है कि ' 1962 में हम जब चीन का युद्ध हार गए थे, तब प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और रक्षा मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने एलएसी पर जा कर सैनिकों का मनोबल बढ़ाने का काम किया।'





 



शरद पवार ने कहा कि उसी तरह हमारे प्रधानमंत्री ने भी कुछ ऐसा ही काम किया है। पवार ने कहा कि ' जब भी देश विकट परिस्थितियों में घिरे, तब तब देश के नेताओं को ऐसा कदम उठाना चाहिए ताकि देश के सैनिकों का मनोबल बढ़े।'



पिछले दिनों किया था कांग्रेस और राहुल पर हमला 



पिछले दिनों ही एनसीपी प्रमुख ने अपने एक बयान में कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर राजनीति करना ठीक नहीं है। इसके साथ ही पवार ने कहा कि 1962 में क्या हुआ था यह हम भूल नहीं सकते। चीन ने हमारी 45 हज़ार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया था। पवार ने यह बयान कांग्रेस की मुखालिफत करते हुए दिया था। इसके जवाब में महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता नितिन राउत ने पवार को सलाह दी थी कि पवार को कांग्रेस को सलाह देने के इतर प्रधानमंत्री को चुप्पी तोड़ने की सलाह देनी चाहिए। 



नितिन पवार ने कहा था 'जब चीन ने 1962 में हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था, तो स्थिति अलग थी। शरद पवार को कांग्रेस शासन के दौरान बतौर रक्षा मंत्री गलतियां सुधारनी चाहिए थी।' कांग्रेस नेता ने आगे कहा था कि राहुल गांधी की टिप्पणी पर कुछ कहने की जगह उन्हें प्रधानमंत्री मोदी को इस मुद्दे पर बोलने की सलाह देनी चाहिए थी.