नई दिल्ली। चेन्नई एयरपोर्ट पर डीएमके सांसद कनिमोई के अंग्रेजी या तमिल में बातचीत करने की बात कहने पर एक सीआईएसएफ अधिकारी द्वारा उनकी नागरिकता पर सवाल खड़ा करने के एक दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि यह कोई असामान्य बात नहीं है और उन्हें भी सरकारी अधिकारियों और आम नागरिकों की इस तरह की आपत्तिजनक टिप्पणियों का सामना करना पड़ा है।



उन्होंने ट्वीट करके अपना यह दर्द साझा किया।





कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आगे कहा कि अगर केंद्र सरकार हिंदी और अंग्रेजी दोनों को देश की आधिकारिक भाषा बनाना चाहती है तो उसे अपने कर्मचारियों को इन दोनों भाषाओं की जानकारी रखने वाला बनाने पर जोर देना चाहिए।



उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘केंद्र सरकार के पदों पर भर्ती होने वाले गैर हिंदीभाषी कर्मचारियों को जल्द ही कामकाज और बोलचाल के लायक की हिंदी सीखनी पड़ती है। हिंदी भाषी कर्मचारी कामकाज और बोलचाल के लायक अंग्रेजी क्यों नहीं सीख सकते?’’



कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा, ‘‘अगर केंद्र सरकार हिंदी और अंग्रेजी दोनों को भारत की आधिकारिक भाषा बनाने को प्रतिबद्ध है तो फिर उसे इस बात पर जोर देना चाहिए कि केंद्र सरकार के सभी कर्मचारी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के जानकार हों।’’



गौरतलब है कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमकी) की सांसद कनिमोई ने नौ अगस्त को ट्वीट किया ‘‘ आज हवाई अड्डे पर जब मैंने सीआईएसएफ की एक अधिकारी से कहा कि वह तमिल या अंग्रेजी में बोलें क्योंकि मैं हिंदी नहीं जानती, तब उन्होंने मुझसे सवाल किया कि क्या ‘मैं भारतीय हूं’।’’







सांसद ने हैशटैग ‘हिंदी थोपना’ का इस्तेमाल करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘‘ मैं जानना चाहूंगी कि कब से भारतीय होना हिंदी जानने के समान हो गया है।’’



उधर डीएमके के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने इस पूरे घटनाक्रम पर नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया, “भारतीय होने के लिए क्या हिंदी ही मापदंड है । यह इंडिया है या हिंदिया है। बहुलवाद को खत्म करने की कोशिश करने वाले खत्म हो जाएंगे ।”



डीएमके दशकों से हिंदी थोपे जाने का विरोध करती रही है। इस घटना पर सीआईएसएफ ने कहा कि उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी और उसकी नीति किसी खास भाषा पर जोर नहीं देने की है।